सौंधी खुशबू | Saundhi Khushboo | ये कहानी है संवेदना के छाव की , किसी के साथ को सहेजने की, भीनी भीनी नमी को महसूस करने की। एक अकेला पौधा हो या एक अकेला मनुष्य अपने जीवन के खालीपन को भरने के लिए उत्सुक होता है। एक खोज रहती है। खिलना और मुरझाना उस बात पर निर्भर करता है की आप कितना स्वयं से जुड़ते है और बिछड़ते है। किसी जोड़े में से एक का बिछड़ना कितना कष्टदायक होता है। ये बात रामायण में बताई गई है की सारस पक्षी के एक जोड़े में से एक को आखेटक के द्वारा मारा जाना वाल्मीकिजी ने जब यह देखा तो उन्होंने निषाद को श्राप दिया की जिस प्रणयरत इस जोड़े को तूने मारा है " तुझे कभी शांति नहीं मिलेगी "
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