बड़ी बड़ी उलझनों की वजह हमेशा ही बहुत छोटी होती है। लॉकडाउन में हम लोगों का बाहर आना जाना लग भग बंद सा हो गया। ये एक अभूतपूर्व स्थिति है। घुटन में कभी ना रहें कभी नहीं। जो भी रहबर है आपका उससे ज़रूर बोलें। अवसाद को नज़रंदाज़ ना करें। मैंने अपने बचपन के दोस्त डॉ. मोनु शर्मा से बात करी जो वर्तमान में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वो जामिया में मनोविज्ञान विषय पढ़ाते हैं।
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