पिछले हफ्ते मैं चर्च के बारे में बात की थी । इस सप्ताह, मैं आपके पास चर्च अनुशासन लाया हूँ।
अनुशासन का अर्थ है दण्ड के रूप में सुधारने वाले कदम उठाना, जिससे कि कलीसिया के सदस्य अच्छा आचरण बनाए रखें।
प्रेरित पौलुस यह अपेक्षा रखता था कि मसीही, कलीसिया की अदालतों का प्रयोग करे, सरकारी अदालतो का नहीं। कलीसियाई अनुशासन मौसम के समान होता है। हम मौसम पर बहुत अधिक बातचीत करते है पर उसके विषय में कभी-कभार ही कुछ करते हैं। वर्तमान कलीसियाओं में ऐसे अनुशासन को बहुधा व्यावहारिक रूप नहीं दिया जाता है। क्यों? क्या इसका कारण यह है कि हम दुर्बल और ठंडे हो गए हैं और अपने सिद्धान्तों के अनुसार कार्य करने से डरते हैं? क्या ऐसा इसलिए है कि हम सब ने सिद्धता प्राप्त कर ली है और अब हमें इसकी आवश्वयकता नहीं रही? क्या इसका कारण यह है कि यदि ऐसा किया जाता है तो कलीसिया के सदस्य कम हो जाएंगे?
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