अंग दान क्यों करे
AUG 28, 2022
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अंगदान द्वारा दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को न केवल बचाया जा सकता है बल्कि उसकी जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। एक मृत देह से करीब 50 जरूरतमंद लोगो की मदद की जा सकती है।

भारत में हर वर्ष करीब दो लाख गुर्दे दान करने की आवश्यकता है जबकि मौजूदा समय में प्रतिवर्ष 7000 से 8000 गुर्दे ही मिल पाते है

अंगदान- किसी जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति को कोई ऊतक या अंगदान करना अंगदान कहलाता है। दाता द्वारा दिया गया अंग ग्राही के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। अंगदान द्वारा दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को न केवल बचाया जा सकता है बल्कि उसकी जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। एक मृत देह से करीब 50 जरूरतमंद लोगो की मदद की जा सकती है। भारत में हर वर्ष करीब दो लाख गुर्दे दान करने की आवश्यकता है जबकि मौजूदा समय में प्रतिवर्ष 7000 से 8000 गुर्दे ही मिल पाते है। इसी प्रकार करीब 50,000 लोग हर वर्ष ह्रदय प्रत्यारोपण की आस में रहते है परन्तु उपलब्धता केवल 10 से 15 की ही है। प्रत्यारोपण के लिए हर वर्ष भारत में 50,000 यकृत की आवश्यकता है परन्तु केवल 700 व्यक्तियों को ही यह मौका प्राप्त हो पाता है। कमोबेश यही स्थिति सभी अंगो के साथ है। एक अनुमान के हिसाब से भारत में हर वर्ष करीब पाँच लाख लोग अंगो के खराब होने तथा अंग प्रत्यारोपण ना हो पाने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते है। अतः अंगदान एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।अंगदान कौन कर सकता है और इसके मापदंड क्‍या हैं? कोई भी व्‍यक्ति मृत्यु के बाद ऑर्गन डोनर बन सकता है. यह फैसला लेने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है. हालांकि, शरीर के अंग दान करने के लिए इस्‍तेमाल हो सकते हैं या नहीं, इसका आखिरी फैसला अस्‍पताल में होता है, क्‍योंकि यह तय करना होता है कि अंग दान के लिए सही हैं या नहीं. आमतौर पर अंगदान के तीन तरीके होते हैं, जो इस प्रकार हैं: अंगदान के तीन तरीके ब्रेन डेथ: इस मामले में इनफार्क्‍ट/ब्‍लीडिंग/ ट्रॉमा यानी आघात के कारण ब्रेन स्‍टेम में खून की आपूर्ति रुक जाती है. ब्रेन स्‍टेम ही शरीर के महत्‍वपूर्ण केन्‍द्रों को नियंत्रित करता है. इसमें व्‍यक्ति सांस लेने या सचेत रहने की क्षमता खो देता है. ब्रेन डेथ और कोमा में अंतर है. कोमा में ब्रेन चोटिल हो सकता है, लेकिन उसके द्वारा खुद को ठीक करने की संभावना रहती है. हालांकि, ब्रेन डेथ के मामले में ठीक होने की संभावना नहीं रहती है और ब्रेन फिर से काम नहीं कर पाता है. ऐसे मामलों में व्‍यक्ति को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है और अगर उसका परिवार चाहे, तो उसके अंग ज़रूरतमंदों को दान किए जा सकतेसर्कुलेटरी डेथ: इसमें हार्ट अटैक के बाद सर्कुलेशन (परिसंचरण) का काम रुक जाता है और व्‍यक्ति को पुनर्जीवित या सक्रिय नहीं किया जा सकता. ऐसा तब भी हो सकता है, जब इंटेंसिव केयर यूनिट या इमरजेंसी डिपार्टमेंट के भीतर मरीज को जीवित बनाए रखने वाले उपचार को उसके ठीक होने की उम्‍मीद न रहने पर बंद कर दिया जाए. सर्कुलेटरी डेथ के मामले में मरीज पर करीब से नज़र रखी जाती है और अंगदान तभी होता है, जब सर्कुलेशन ऐसा रुके कि फिर शुरू न हो सके. सर्कुलेटरी डेथ के मामले में समय बहुत कम मिलता है, क्‍योंकि ऑक्‍सीजन वाले खून के बिना अंग शरीर के बाहर ज्‍यादा समय तक ठीक नहीं रह सकते. लिविंग डोनेशन: दान के उपरोक्‍त दो प्रकार व्‍यक्ति की मौत के बाद के लिए होते हैं, जबकि लिविंग डोनेशन व्‍यक्ति के जीवित रहते हो सकता है. व्‍यक्ति अपने परिजन या किसी ज़रूरतमंद के लिए किडनी, लिवर के एक छोटे हिस्‍से या नितंब या घुटने बदलने के बाद बेकार की बोन का दान कर सकता है. क्‍या ऐसा व्‍यक्ति, जिसका परिवार न हो, ऑर्गन डोनर के तौर पर रजिस्‍टर हो सकता है? यह संभव है और इसे प्रोत्‍साहित भी किया जाता है. अगर किसी व्‍यक्ति के परिजन नहीं हैं, तो वह अपने सबसे करीबी दोस्‍तों या सहकर्मियों को मरने के बाद अपने अंगदान करने का फैसला बता सकता है. वह विभिन्‍न समूहों के साथ भी अंगदान के लिए ‘साइन अप’ कर सकता है.



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