सबसे रोमांचक अंतरिक्ष कार्यक्रम का खुलासा
E AUG 30, 2023
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भारत ने 14
जुलाई को तीसरी बार चांद पर अपना यान
भेजा हैं। यह चांद पर जाने की भारत की तीसरी कोशिश है। यह मिशन 14 जुलाई को लॉन्च किया
गया था। जिसमें भारत ने अपना सैटेलाइट चांद पर भेजा। यह सैटेलाइट कई दिनों की
यात्रा के बाद 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्टली लैंड हुआ। इसीलिए प्रधानमंत्री
द्वारा हर वर्ष 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने की घोषणा की गई है, वही  इससे
पहले भी भारत दो बार चांद पर पहुंचने की कोशिश का चुका है, लेकिन वे मिशन सफल
नहीं हो सके। भारत अपने मून मिशन को पूरा करने के लिए 15 सालों से मेहनत कर
रहा है। इस बार यह मिशन पूरा होता हुआ दिखाई दे रहा है।


इस मिशन में एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल
है। इस लैंडर का नाम विक्रम है और यह 1752
किलोग्राम वजनी है। जबकि रोवर का नाम
प्रज्ञान है और यह 26 किलोग्राम वजनी है। चंद्रयान-3
मिशन में ऑर्बिटर चांद की परिक्रमा
करेगा और चांद की सतह एवं उसके वातावरण का अध्ययन करेगा। लैंडर और रोवर चांद की
सतह पर वैज्ञानिक परीक्षण करेंगे। जिसमें चांद के साउथ पोल पर बर्फ की उपस्थिति के
बारे में परीक्षण किया जाएगा। इसके साथ ही चांद की सतह और उसकी संरचना, चांद गुरुत्वाकर्षण
क्षेत्र और वायुमंडल के बारे में अध्ययन किया जाएगा।


भारतीय अनुसंधान संस्थान केंद्र (ISRO) द्वारा
14 जुलाई 2023 को chandrayaan-3 को लॉन्च किया गया है। चंद्रयान 2 की बाद भारत ने करीब 3
महीने 10
महीने के प्रयास के बाद चंद्रयान-3 को लांच किया है। यह
यान 40 दिन की यात्रा के बाद 23
अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह
पर लैंड कराया गया। यह दिन भारत के लिए ऐतिहासिक दिन में शामिल हो गया है क्योंकि
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना सैटेलाइट लैंड करने वाला भारत पहला देश बन गया है
जबकि इससे पहले भी कई देशों ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना सैटेलाइट लैंड करने
की कोशिश की थी लेकिन वह इसमें असफल रहे। भारत ने अब तक चांद पर पहुंचने के लिए
तीन मिशन लॉन्च किए हैं जिसमें से चंद्रयान-1
मिशन 22
अक्टूबर 2008
को एवं चंद्रयान-2 मिशन 22 जुलाई 2019 को
लांच किया गया था। 


चंद्रयान-3 कैसे
काम करेगा?


चंद्रयान-3 में मुख्य रूप से तीन
मॉड्यूल प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर शामिल है। चंद्रायणी तीन की लैंडिंग के बाद वहां
विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स और रोवर पर दो पेलोड्स अलग-अलग काम करेंगे। विक्रम
लैंडर द्वारा चंद की सतह का तापमान भूकंपीय गतिविधियों की जांच, चांद के डायनामिक को
समझने का प्रयास एवं चांद की सतह पर सूर्य से आने वाले प्लाज्मा कानों का घनत्व
उसकी मात्रा और बदलाव की जांच की जाएगी। जबकि प्रज्ञान रोवर द्वारा चांद की सतह पर
मौजूद रसायनों की मात्रा और उसकी गुणवत्ता के साथ खनिजों की खोज की जाएगी। इसके
अलावा यहां मैग्नीशियम, सिलिकॉन, कैल्शियम टीन, आयरन, पोटेशियम और अल्युमिनियम एलिमेंट की कंपोजिशन की स्टडी करेगा।


चंद्रयान-3 दक्षिणी
ध्रुव पर ही क्यों उतारा?


विशेषज्ञों के अनुसार चांद के दक्षिणी
ध्रुव पर बर्फ के रूप में पानी मौजूद है। चंद्रमा के इस रहस्य पर 23 अगस्त से लेकर 5 सितंबर तक सूर्य की
रोशनी रहेगी जिससे चंद्रमा की सतह और वहां के वायुमंडल का अध्ययन करने में मदद
प्राप्त हो सकेगी। लैंडर विक्रम और प्रज्ञान लोअर दोनों ही मिलकर चांद पर मौजूद
खनिज वहां की मिट्टी, वातावरण और सतह का अध्ययन कर इसकी जानकारी इसरो को देंगे जो की
वैज्ञानिक परीक्षण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होगा। इससे वैज्ञानिकों को चांद
के बारे में और वहां पर जीवन की संभावना के बारे में और अधिक
जानकारी मिल सकेगी।


Chandrayaan-3 की
भूमिका


अंतिम का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर
चांद पर लैंड करने के बाद करीब 14 से 15 दिन तक काम करेंगे। यह दिन धरती के समय के हिसाब से बताए गए
हैं क्योंकि 23 अगस्त से लेकर अगले 14
15 दिनों तक चांद पर सूरज की रोशनी पड़ती
रहेगी। जहां पर सैटेलाइट को लैंड करवाया गया है वहां पर 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच
पर्याप्त सूर्य की रोशनी पड़ेगी। चांद के उसे हिस्से से जैसे ही सूरज की रोशनी
हटेगी विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर काम करना बंद हो जाएंगे लेकिन दोबारा रोशनी
पढ़ने पर लैंडर और रोमन फिर से कम कर सकते हैं।


चंद्रयान 3 का
महत्व (Importance
of Chandrayaan-3)


चंद्रयान-1 भारत के लिए बहुत ही
महत्वपूर्ण मिशनों में से एक है। 






चंद्रयान 3 रोचक
तथ्य (Chandrayaan-3
Interesting Facts)











National
Space Day


चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक
लैंडिंग पर पीएम मोदी ने बेंगलुरु में स्थित इसरो कमांड सेंटर में ISRO वैज्ञानिकों
को संबोधित करते हुए बड़ी घोषणा की है। इस घोषणा में पीएम मोदी ने 23 अगस्त को National Space Day के तौर कर घोषित कर दिया है। अब से हर साल इस दिन  National Space Day के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन की घोषणा के पीछे देश बच्चों
और युवाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रति उनका रुझान बढ़ाना है, ताकि वे वैज्ञानिक
अनुसंधान और परीक्षण में रुचि लें और इस क्षेत्र में आगे बढ़ें। मोदीजी जी जी ने
अपने भाषण में बताया की कैसे प्राचीन समय में भारत के ऋषि-मुनि वैज्ञानिक खोजों
में जुटे हुए थे। उस समय दुनियां को 


वैज्ञानिक खोजों के बारे में पता भी
नहीं था। इसके साथ ही सूर्य सिद्धान्त जैसे कई प्राचीन ग्रंथों में अंतरिक्ष से
जुड़े रहस्यों की खोज के बारे में बताया गया है। लेकिन मुगलों के आक्रमण और 200  में
सालों की गुलामी की गुलामी चलते भारत अपनी ताकत को भूल गया था। लेकिन भारत ने आज
एक बार फिर अपने गौरव को प्राप्त कर लिया है।


 









































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