अब तू ही बता.. तुझे ना चाहूँ, तो फिर चाहूँ क्या?
मैं, तुम्हारे लिए जीना चाहता हूँ...
हम सब एक जैसे है.. ना कोई बेहतर है, ना कोई किसी से कम...
महफ़िल में तेरा चर्चा शुरू हो गया...
वो सब दिन याद है... बचपन का वो हर बचपना याद है...
तुमसे लेकर, तुम तक.. बहुत प्यार था...
आज फिर एक तारा टूटा है...
फ़र्क़ है अब इतना, कि अब कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता...
चाय की दुकान, और वो छज्जा...
हर रात बाहर बेठता हूँ. उस खामोशी में कई ख़्वाब बुनता हूँ...
कौन थी? मालूम नहीं... अक्सर सपनो में आया करती थी...
तेरी झोली ख़ुशियों से भरना चाहता हूँ, मैं सिर्फ़ तेरी ख़ुशी चाहता हूँ...
कोई ख़्वाजा है तो उसके सिर की क़सम.. बहुत प्यार करता हूँ...
गर्मियों की छुट्टियाँ... और नाना नानी..
तुम हूबहू हो...
क्यों ना आज फिर से जीया जाए...
ये जाम कुछ ख़ास है...
आज यूँही शाम को छत्त पे खड़ा था, एक हवा का झोंका चला...
वो earring आज भी सम्भाल कर रखा है...
कि काश मैं उससे पूछ पता.. काश...
याद है, मुझे सब याद है...
ठीक है, तुम कहती हो तो आज के बाद ऐसा नहीं होगा...
आज फिर ना कुछ कह पाया.. तुम बोलती रही और मै चुप चाप सुनता रहा...
ख़्वाबों का जहान...
पता ही नही चलता...
क्या लिखूँ? कैसे ही लिखूँ? कहानी हमारी...
पहला dance partner...
थक चुका हूँ...
तू ऐसा तो नहीं था...
सिर्फ़ तुम हो...