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ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो

शायरी, शायरी नहीं होती।

वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में।

आप सुन रहे हैं एच टी स्मार्टकास्ट और ये है रेडियो नशा प्रोडक्शन |

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87 episodes

S2E27 | कौन मरता है ज़िंदगी के लिए - Sadat Nazeer

आज का ख्याल शायर सादात नज़ीर साहब की कलम से | शायर कहते है - कौन मरता है ज़िंदगी के लिए, जी रहा हूँ तिरी ख़ुशी के लिए | सादात नज़ीर जी एक जाने माने लेखक और शायर है। उन्होंने कई किताबे लिखी है।

4m
Nov 02, 2021
S2E26 | बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है - Irfan Siddiqi

आज का ख्याल शायर इरफ़ान सिद्दीकी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है'। इरफ़ान सिद्दीकी सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक शायरों में शामिल थे और अपने नव-क्लासिकी लहजे के लिए विख्यात।

5m
Oct 26, 2021
S2E5 | खराबी का आग़ाज़ कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल- Azam Bahzad

आज का ख्याल शायर आज़म बहज़ाद की कलम से । शायर कहते है -खराबी का कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल, कहा ज़ख्म खाये कहा से हुए वार यह भी दिखाना है मुश्किल। आज़म बेहज़ाद ने 1972 में कविता लिखना शुरू किया और सबसे लोकप्रिय समकालीन कवियों रूप में उभरे। उन्हें आलोचकों और जनता द्वारा समान रूप से सराहा गया था। उनके उपन्यास और रूपकों के लिए उनकी बहुत सराहना की गई थी। इसके अलावा, उन्हें जनता द्वारा उनके 'तरन्नुम' के लिए भी पसंद किया जाता था और अक्सर मुशायरों में इसके लिए अनुरोध किया जाता था।

5m
Oct 19, 2021
S2E24 | तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है - Nida Fazli

आज का ख्याल शायर निदा फाजली साहब की कलम से। शायर कहते है - 'तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है, जहां भी जाऊं ये लगता है, तेरी महफ़िल है'। निदा फाजली हिंदी और उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार थे। वे 1964 में मुंबई आए और धर्मयुग पत्रिका और ब्लिट्ज जैसे अखबार में काम किया। उनकी काव्य शैली ने फिल्म निर्माताओं और हिंदी और उर्दू साहित्य के लेखकों को आकर्षित किया।

7m
Oct 12, 2021
S2E23 | कुंज-ए-तन्हाई - Sabir Alvi

आज का ख्याल शायर साबिर अल्वी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'कुंज-ए-तन्हाई के अफगार में क्या रखा है'।

4m
Sep 24, 2021
S2E22 | आए हो तो ये हिजाब क्या है - Mushafi Ghulam Hamdani

आज का ख्याल शायर ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'आए हो तो ये हिजाब क्या है'। ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी उर्दू के बड़े शायर हुए। इनके समकालीन और प्रतिद्वंदी इंशा और जुरअत थे। ... यहाँ मीर, दर्द, सौदा और सोज़ जैसे शायर वृद्ध हो चले थे। इनका असर इनकी शाइरी पर पड़ा।

5m
Sep 21, 2021
SE21 | इतना मालूम है - Parveen Shakir

आज का ख्याल शायर परवीन शाकिर की कलम से। शायर कहते है - 'अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़, सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा'। सैयदा परवीन शाकिर, एक उर्दू कवयित्री, शिक्षक और पाकिस्तान की सरकार की सिविल सेवा में एक अधिकारी थीं। ... फ़हमीदा रियाज़ के अनुसार ये पाकिस्तान की उन कवयित्रियों में से एक हैं जिनके शेरों में लोकगीत की सादगी और लय भी है और क्लासिकी संगीत की नफ़ासत भी और नज़ाकत भी।

7m
Sep 14, 2021
S2E20 | उनसे बढ़ते फासले और मै = Tabish Mehdi

आज का ख्याल शायर तबिश मेहदी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'उनसे बढ़ते फासले और मै'। तबिश मेहदी का जन्म 3 जुलाई 1951 को प्रतापगढ़ में हुआ था। कविता संग्रह पर उनकी पुस्तकें "ताबीर" और "सलसबील" हैं, जो क्रमशः 1998 और 2000 में प्रकाशित हुई हैं। इस एपिसोड में हमारे साथ एक मेहमान शायर भी है और उनका ख्याल है - 'मरना आसान लगने लगा'।

6m
Sep 11, 2021
S2E19 | पीने की शराब और - Zaheer Dehlvi

आज का ख्याल शायर जहीर देहलवी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'पीने की शराब और जवानी की शराब और'। जहीरुद्दीन को जहीर देहलवी के नाम से जाना जाता था। उनके पिता, सैयद जलालुद्दीन हैदर, सुलेख में शाह ज़फ़र के गुरु थे। जहीर को बचपन से ही शायरी का शौक था। वह चौदह वर्ष की आयु में ज़ोक देल्हवी के शिष्य बन गए।

4m
Sep 07, 2021
S2E18 | वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा - Iqbal Sajid

आज का ख्याल शायर इक़बाल साजिद साहब की कलम से। शायर कहते है - 'वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा, किरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा'। मोहम्मद इकबाल का जन्म 1932 में सहारनपुर जिले के लंढूरा में हुआ था। विभाजन के बाद वे लाहौर चले गए। उसने दसवीं तक ही पढ़ाई की थी। उनकी गरीबी ने उन्हें अपनी कविता बेचने के लिए मजबूर किया लेकिन यह उनकी कविता की उपयोगिता साबित करता है।

6m
Sep 03, 2021
S2E17 | इस खुर्दुरी ग़ज़ल को - Muzaffar Hanfi

आज का ख्याल शायर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'इस खुर्दुरी ग़ज़ल को, ना यूं मुंह बना के देख'। मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब अदब में वह कादिर उल कलाम शायर के रूप में जाने जाते थे। उनकी पहचान एक ऐसे शायर की थी जिसे किसी भी खयाल को शेर में बांधने का हुनर आता था।

7m
Aug 31, 2021
S2E16 | और बेशक़ ज़माने ने उसे "औरत" कहा- Shaad Aarfi

आज का ख्याल शाद आरफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'देख कर शेर ने उसको नुक्ता-ए-हिकमत कहा,और बेशक़ ज़माने ने उसे "औरत" कहा' | शाद आरफ़ी की गिनती उर्दू के महत्वपूर्ण शायरों में होती है। उन्होंने ग़ज़ल-नज़्म दोनों ही विधाओं में रचना की। शाद एक संवेदनशील व्यक्ति थे, उनकी शायरी में पायी जाने वाली संवेदना ख़ुद उनकी ज़िंदगी के अनुभवों से भी आयी है |

10m
Aug 27, 2021
S2E15 | मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा - Shakeel Badayuni

आज का ख्याल शायर शकील बदायूनी की कलम से। शायर कहते है - 'मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे'। शकील बदायूनी मसऊदी का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश का शहर बदायूँ है। यह एक उर्दू के शायर और साहित्यकार थे। लेकिन इन्होंने बालीवुड में गीत रचनाकार के रूप में नाम कमाया।

5m
Aug 24, 2021
S2E14 | होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे - Mirza Ghalib

आज का ख्याल शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की कलम से। शायर कहते है - 'बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे'। मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान, जो अपने तख़ल्लुस ग़ालिब से जाने जाते हैं, उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के एक महान शायर थे। इनको उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है और फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है।

6m
Aug 20, 2021
S2E13 | ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में - Gulzar | Gulzar Sahab B'day Special

आज का ख्याल शायर गुलज़ार साहब की कलम से। शायर कहते है - 'ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, एक पुराना ख़त खोला अनजाने में'। ये एक स्पेशल एपिसोड है गुलज़ार साहब की जन्मदिन के मौके पर। अगर आपको भी गुलज़ार साहब की कलम से मोहब्बत है तो आइये @htsmartcast के सोशल मीडिया हैंडल पर और साथ मनाइये गुलज़ार साहब का जन्मदिन।

5m
Aug 17, 2021
S2E12 | वो हमसफ़र था - Naseer Turabi

आज का ख्याल शायर नसीर तुराबी की कलम से। शायर कहते है - 'वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी'। नसीर तुराबी उर्दू के अजीम शायर हैं जिनका फन जगजाहिर है। नसीर साहब की पैदाइश निजाम के शहर हैदराबाद से थी। लेकिन भारत पाकिस्तान बंटवारे के वक्त उनके पिता परिवार सहित पाकिस्तान के कराची में जाकर बस गए।

7m
Aug 13, 2021
S2E11 | आए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूं - Behzad Lucknavi

आज का ख्याल शायर बेहज़ाद लखनवी की कलम से। शायर कहते है - 'आए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूं'। बेहज़ाद लखनवी एक पाकिस्तानी उर्दू कवि और गीतकार थे। उन्होंने मुख्य रूप से नात और ग़ज़लें लिखीं और कभी-कभी ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली के लिए और बाद में पाकिस्तान में प्रवास के बाद रेडियो पाकिस्तान के लिए रेडियो नाटक लिखे।

7m
Aug 10, 2021
S2E10 | कौन आयेगा यहाँ - Kaif Bhopali

आज का ख्याल शायर कैफ़ भोपाली की कलम से। शायर कहते है - 'कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा'। कैफ़ भोपाली एक भारतीय उर्दू शायर और फ़िल्मी गीतकार थे। वे 1972 में बनी कमाल अमरोही की फिल्म पाक़ीज़ा में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गीत "चलो दिलदार चलो..." से लोकप्रिय हुए।

5m
Aug 06, 2021
S2E9 | मैं तो दरिया हूं समुंदर में उतर जाऊंगा - Ahmad Nadeem Qasmi

आज का ख्याल शायर अहमद 'नदीम' क़ासमी की कलम से। शायर कहते है - 'मैं तो दरिया हूं समुंदर में उतर जाऊंगा'।अहमद 'नदीम' क़ासमी तरक़्क़ी-पसंद शायर के तौर पर पहचाने जाते हैं. इसके अलावा वह एक मशहूर अफ़साना निगार भी रहे। उन्होंने 'फ़नून' नाम से एक अदबी रिसाला भी जारी किया।

6m
Aug 03, 2021
S2E8 | बड़ा अँधेरा है - Saghar Siddiqui

आज का ख्याल शायर साग़र सिद्दीक़ी की कलम से। शायर कहते है - चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है। साग़र सिद्दीक़ी 1928 में अंबाला में पैदा हुए। उनका ख़ानदानी नाम मुहम्मद अख़्तर था। साग़र के घर में बदतरीन ग़ुरबत थी। इस एपिसोड में आप में से एक मेहमान शायर भी है। शायर का नाम है - मनीष चंद्रा और उनका ख्याल है 'वक़्त की चीखें सुनाई नहीं देती हमको'।

7m
Jul 30, 2021
S2E7 | दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर - Bekhud Dehlvi

आज का ख्याल शायर बेख़ुद देहलवी की कलम से। शायर कहते है - दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर। खुद देहलवी जी का जन्म 21 मार्च 1863 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था इनका पूरा नाम सईद वहीदुद्दीन अहमद था ये एक प्रसिद्ध उर्दू के शायर के नाम से प्रसिद्ध थे और इनकी मृत्यु 2 अक्टूबर 1955 में हुई |

11m
Jul 27, 2021
S2E6 | मुझसे पहली सी मुहब्बत - Faiz Ahmad Faiz | Tribute to Surekha Seekri

आज का ख्याल शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कलम से। शायर कहते है - मुझसे पहली सी मुहब्बत, मेरे मेहबूब ना माँग। इस एपिसोड में पीयूष ने याद किया है मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री सुरेखा सीकरी जी को, जिनका बीते दिन ही दिहांत हुआ।

6m
Jul 23, 2021
S2E5 | ग़म हर इक आँख को छलकाए - Fana Nizami Kanpuri

आज का ख्याल शायर फ़ना निज़ामी कानपुरी की कलम से। शायर कहते है - ग़म हर इक आँख को छलकाए जरूरी तो नहीं। फ़ना पारंपरिक ग़ज़ल-शायरी के रस-रंग, सुगंध, भाव और लय को अपने एक नए अन्दाज़ से पेश करने वाले प्रमुख शायर थे, जिन्होंने ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल की।

6m
Jul 20, 2021
S2E4 | ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है - Hafeez Jalandhari

आज का ख्याल शायर ख़्वाजा हफ़ीज़ जालंधरी की कलम से। शायर कहते है - ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है। हफ़ीज़ जालंधरी ने 11 वर्ष की उम्र से नियमित शायरी शुरू कर दी थी। हफ़ीज़ जालंधरी के क़लाम के 3 संकलन प्रकाशित हुए हैं।1-नग़्म-ए-ज़ार 2- सोज़ो-साज़ 3- तल्ख़ाबा शीरीं। इस एपिसोड में आप में से एक मेहमान शायर भी है। शायर का नाम है - लल्लन और उनका ख्याल है 'फिर रात तवे पर है'।

8m
Jul 16, 2021
S2E3 | ये आरज़ू थी - Haidar Ali Aatish

आज का ख्याल शायर ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश' की कलम से। शायर कहते है - ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते, हम और बुलबुल-ए-बेताब गुफ़्तगू करते। आतिश बुनियादी तौर पर इश्क़-ओ-आशिक़ी के शायर थे। आतिश, मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन, 19वीं सदी में उर्दू ग़ज़ल का चमकता सितारा थे।

7m
Jul 13, 2021
S2E2 | इक पल में इक सदी का मज़ा - Khumar Barabankvi

आज का ख्याल शायर ख़ुमार बाराबंकवी की कलम से। शायर कहते है - इक पल में इक सदी का मज़ा हम से पूछिए। 15 सितम्बर 1919 को जन्मे खुमार बाराबंकवी का मूल नाम मोहम्मद हैदर खान था। महान शायर और गीतकार मजरूह सुलतानपुरी उनके अज़ीज़ दोस्त थे।

7m
Jul 09, 2021
S2E1 | मगर ये ज़ख्म ये मरहम - Jaun Elia

आप सब से बेहद प्यार बटोरने के बाद, RJ पीयूष बापस आ गए है सीजन-2 के साथ। सीजन-2 का पहला ख्याल विख्यात शायर जॉन एलिया की कलम से। जॉन एलिया का जन्म 14 दिसंबर 1931 को अमरोहा में हुआ। यह अब के शायरों में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले शायरों में शुमार हैं। शायद, यानी, गुमान इनके प्रमुख संग्रह हैं। इनकी मृत्यु 8 नवंबर 2002 में हुई।

7m
Jul 02, 2021
60: आ के वाबसता हैं | Faiz Ahmed Faiz - The Season Finale

आज के ख्याल का ये आखिरी एपिसोड फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के नाम । फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे, जिन्हें अपनी क्रांतिकारी रचनाओं में रसिक भाव (इंक़लाबी और रूमानी) के मेल की वजह से जाना जाता है।। सुनिए उनकी रचना और उनके जीवन के बारे में @radiokabachchan के साथ।

10m
May 14, 2020
59: करोगे याद | Bashar Nawaz | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a Poet

आज का ख्याल बशर नवाज की तरफ से। बशर नवाज प्रख्यात उर्दू कवि एवं गीतकार थें। सुनिए उनकी रचना और उनके जीवन के बारे में @radiokabachchan के साथ।

7m
May 13, 2020
58: अँधा कबाड़ी | Noon Meem Rashid | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a Poet

आज का ख्याल नून मीम राशिद की तरफ से। इन्होने ४ ग़ज़ल और ६० नज़मे लिखी है और उतने में ही उन्होंने समः को बाँध दिया। सुनिए उनकी रचना और उनके जीवन के बारे में @radiokabachchan के साथ।

9m
May 12, 2020