Jeevan Samvad

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221 episodes

207: #जीवनसंवाद: जब खूब बुरा लगे!

* Jeevan Samvad: यह जो ज़रा-ज़रा सी बात पर दुखी होकर आत्महत्या करने का चलन बढ़ता जा रहा है, उसके प्रति सजग रहें, अपने मन का ख्याल रखें. जीवन में दुखी होने के अवसर बहुत से मिल जाते हैं, लेकिन प्रेम, स्नेह से साथ रहने के मौके कम मिलते हैं.

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Nov 23, 2020
206: जीवन संवाद: कोरोना और शादी!

* #JeevanSamvad:अभी भी भारत में आने वाली शादियों के लिए बड़ी संख्या में रेल टिकट बुकिंग से लेकर शादी हॉल, खानपान की व्यवस्था देखकर कहीं नहीं लग रहा कि कोरोना का अस्तित्व बचा भी है!

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Nov 20, 2020
205: जीवन संवाद: साथ-साथ!

* #JeevanSamvad: कोरोना ने हमारे बीच रिश्तों की कमजोर नींव को उजागर किया है. जीवन में संकट आते जाते रहते हैं. कोरोना वायरस भी जाएगा ही, लेकिन इसने हमारे जीवन के जिन गंभीर संकटों पर प्रश्न किए हैं, हमें उन्हें समय रहते सुलझाना चाहिए.

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Nov 19, 2020
204: #जीवनसंवाद: याद रखने लायक!

* #JeevanSamvad: जिंदगी में हम जितना जल्दी याद रखने लायक और भूलने लायक चीजों का फैसला कर लेंगे, हमारी जिंदगी तनाव और अवसाद से उतनी शीघ्रता से दूर होती जाएगी.

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Nov 18, 2020
203: #जीवनसंवाद: बासी रिश्ते!

* Jeevan Samvad: रिश्तों की सेहत के प्रति सजगता होनी जरूरी है. पेड़ को बचाए रखने के लिए पत्तियों में नहीं, जड़ों में पानी देना होता है. रिश्ते हमारी जिंदगी की जड़ हैं. यही जिंदगी को ताज़ा बनाए रखते हैं. रोशनी बख्शते हैं.

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Nov 17, 2020
202: #जीवनसंवाद: घर की राजनीति!

* #JeevanSamvad: रिश्ते, इसलिए नहीं होते कि उन पर अपनी मनमर्जी चलाई जाए. अपने विचार लादे जाएं. रिश्ते तो इसलिए हैं कि उन पर जिंदगी की कमीज़ आसानी से टांग दी जाए.

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Nov 16, 2020
201: जीवन संवाद: थोड़ी-थोड़ी उदारता!

* #JeevanSamvad: हम अक्सर करुणा और प्रेम की शक्ति को कमतर मानते हैं, लेकिन जिन्होंने इसे महसूस किया है, वह मानते हैं कि इससे जीवन की किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है!

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Nov 13, 2020
200: #जीवन संवाद: हारने से दूर!

* #JeevanSamvad: तनाव के पलों में हर पल जीतने के उन्माद से मुक्त होकर हम अपना जीवन सुकून से जी सकते हैं. हमेशा अपने को सही साबित करने से बचें, इससे जिंदगी में केवल तनाव बढ़ता है, और कुछ नहीं.

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Nov 12, 2020
199: #जीवनसंवाद: प्रसन्नता के मुखौटे!

* #JeevanSamvad: हमने बाहरी चीज़ों पर सुख की निर्भरता इतनी अधिक बढ़ा दी है कि अगर वह नहीं है तो भी हमें उसे दिखाना है. ‌जो नहीं है, उसको दिखाने का काम ही मुखौटा करता है.

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Nov 11, 2020
198: #जीवनसंवाद: संकट के हिस्सेदार!

* > #JeevanSamvad: संकोच और असुविधा के सारे बादल हमारे बनाए हुए होते हैं. अगर मन में सच्चा प्रेम है, तो बादलों को उड़ते हुए देर नहीं लगती, इसलिए अपनी बात को खुलकर कहने का सलीका हमें सीखना ही चाहिए.

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Nov 10, 2020
197: #जीवनसंवाद: असुरक्षा की दीवार!

* #JeevanSamvad: हम उतने ही अधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं, जितने ज्यादा सुरक्षा के इंतजाम करते जा रहे हैं! यह कुछ-कुछ ऐसा है, जैसे पेड़ का ख्याल रखने के नाम पर हम केवल फूल और पत्तियों को पानी देते रहें, जड़ को भूल ही जाएं!

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Nov 09, 2020
196: जीवन संवाद: कर्ज की जीवनशैली!

* #JeevanSamvad: युवाओं के बीच एक चीज बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रही है. किसी भी कीमत पर अपनी हैसियत कम न बताना. अपनी सामाजिक हैसियत को कर्ज के सहारे चमकदार बनाने की चाहत ने हमें गहरे संकट में डाल दिया है.

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Nov 06, 2020
195: #जीवन संवाद: मुकाबला!

* #JeevanSamvad: जब तक दूसरों के मुकाबले सुख को देखना हम बंद नहीं करेंगे. हम भटकते ही रहेंगे. बाज़ार का उपयोग हमें करना है, वह हमारा इस्तेमाल करने लगा. इससे बचने की जिम्मेदारी हमारी है.

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Nov 05, 2020
194: #जीवनसंवाद: भुलाना!

* #JeevanSamvad: अपने भीतर कोमलता और रिक्तता को बनाए रखना बहुत जरूरी है. दूसरों के लिए मन में जगह बनाए बिना अपने लिए भी प्रेम को बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा!

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Nov 04, 2020
193: #जीवन संवाद: कागज के फूल!

* #जीवन संवाद: अपने प्रेम को अगर हम केवल फेसबुक लाइक, शेयर और रीट्वीट के सहारे छोड़ देंगे, तो हमारी जिंदगी कागज के फूलों के आसपास ही सिमटकर रह जाएगी. जाहिर है, जीवन की सुगंध से हम दूर होते चले जाएंगे!

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Nov 03, 2020
192: #जीवनसंवाद: अपनी ओर!

* Jeevan Samvad: अपनी ओर देखना, मन पर जमा होने वाली धूल को साफ करते रहना मुश्किल तो नहीं लेकिन आसान भी नहीं. भीतर से इसके प्रति सजग नहीं होने के कारण हम इससे दूर ही रहते हैं!  

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Nov 03, 2020
191: जीवन संवाद: एक के सहारे!

* #JeevanSamvad: बांध बनाने के बाद हम अपने तालाब, कुओं की उपेक्षा करने लग जाएं, तो पानी, पर्यावरण कैसे बचेगा! रिश्‍तों पर भी यही बात लागू होती है. जीवन और प्रकृति एक-दूसरे के सहयात्री हैं, विरोधी नहीं!

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Oct 30, 2020
190: #जीवन संवाद: नाजुक मन!

* #JeevanSamvad: हमारे बुजुर्गों के पास जीवन को जानने-समझने का गहरा, विविधतापूर्ण अनुभव रहा है, लेकिन हमने उसे नकार दिया. कोरोना जैसे ही संकट हमारे पहले की पीढ़ियों ने देखे. उन्होंने कहीं अधिक कुशलता से इनका सामना किया था.

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Oct 29, 2020
189: #जीवनसंवाद: सुखी होना!

* #JeevanSamvad: अपने कष्ट और दुख में अंतर करने से हम सुख को कहीं बेहतर ढंग से समझ पाएंगे. शरीर का संबंध कष्ट से है. मन का संबंध दुख से है. हमें दोनों को अलग-अलग तरह से समझना पड़ेगा.

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Oct 28, 2020
188: #जीवनसंवाद: स्वभाव!

* Jeevan Samvad: भीतर कुछ और बाहर कुछ. यही दोहरे जीवन की शुरुआत है. जिंदगी में हमेशा सबकुछ हासिल करने के लिए नहीं, कभी कुछ कीमत अपने को बचाए रखने के लिए भी चुकानी होती है. जो अपने स्वभाव को बचाए रखते हैं, वही जीवन को उपलब्ध होते हैं!

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Oct 27, 2020
187: #जीवनसंवाद: दोहरी जिंदगी!

* Jeevan samvad: जब भी गांव में जल संकट गहराता है, हम लौटकर सूखे कुएं और तालाब के पास ही जाते हैं. हमारे संकट भीतर से शुरू होते हैं, प्रकट बाहर होते हैं, लेकिन केवल बाहरी नहीं होते.

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Oct 26, 2020
186: #जीवन संवाद: खुरदरा समय और स्नेह!

* Jeevan samvad: परस्पर विश्वास और प्रेम का पुल कितना ही मजबूत क्यों न हो, अगर उस पर संवाद का रंगरोगन न किया जाए, तो देर-सबेर दीमक लगने ही लगती है!

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Oct 24, 2020
185: #जीवन संवाद: कर्ज और साहस!

* Jeevan Samvad: यह कहानी ईमानदार कोशिश के साथ परिवार की शक्ति को बताने वाली है. संकट का सामना करने में वित्तीय समझदारी से अधिक जीवन की आस्था, साहस की भूमिका होती है!

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Oct 23, 2020
184: #जीवनसंवाद: रिश्तों के शीत युद्ध!

* Jeevan Samvad: शांति केवल शब्द तक आई है. भीतर नहीं पहुंची. इसलिए, हम सब अधिकांश समय शीत युद्ध में ही होते हैं. बाहर तो युद्ध नहीं दिखता, लेकिन भीतर युद्ध की निरंतर तैयारी चल रही है!

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Oct 22, 2020
183: #जीवनसंवाद: आंसुओं को पुकारना!

* Jeevan Samvad: दुनियाभर में आत्महत्या के बढ़ते आंकड़े बताते हैं कि पुरुष अपने जीवन को संभालने में स्त्रियों के मुकाबले कहीं कमजोर साबित हुए हैं. आंसुओं की कमी इसकी मुख्य वजहों में से एक है!

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Oct 21, 2020
182: #जीवनसंवाद: स्थायी!

* Jeevan Samvad: कोरोना ने हमें समझाने की कोशिश की है कि अंततः प्रेम, अहिंसा और स्नेह ही हमें बचाएगा. हम इनको छोड़कर जितनी दूर निकलते जाएंगे, हमारा जीवन उतना ही मुश्किल होता जाएगा.

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Oct 19, 2020
181: #जीवनसंवाद: खानाबदोश!

* Jeevan Samvad: बच्चे पेड़ के पत्ते नहीं हैं, जो वह पेड़ की मर्जी से ही कदमताल करें. उनका स्वतंत्र जीवनबोध है. इस बात को हम जितनी सरलता से स्वीकार कर लेंगे, हमारे रिश्ते उतने ही महकेंगे.

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Oct 17, 2020
180: #जीवनसंवाद: दृष्टि का अंतर!

* #JeevanSamvad: जो अपने भीतर करुणा, प्रेम और कोमलता रखते हैं. उनके भीतर ही कुछ घटने की संभावना अधिक होती है. जीवन का सुख चट्टान से अधिक मिट्टी में है! 

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Oct 16, 2020
179: जीवन संवाद: सीखना!

* #Jeevan Samvad: नैतिक मूल्य के बिना मूल्य उपयोगी नहीं! यह तो कुछ ऐसा हुआ जैसे नदी में पानी है, लेकिन खारा है. केवल पानी होने से बात नहीं बनेगी, उसे मीठा भी होना होता है! ऐसा ही रिश्ता नैतिक मूल्य और मूल्य का है!

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Oct 15, 2020
178: #जीवन संवाद: हमें सताने वाले!

* #Jeevan Samvad: अपने मन को हम दूसरों के हिसाब से चलने की अनुमति नहीं दे सकते. किसी खास अनुभव से अपने को अलग नहीं कर पाना, मन का कहीं फंसने सरीखा है. कांटों में फंसने पर जैसे शरीर कष्‍ट पाता है, वैसे ही अतीत में उलझे मन भी जीवन ऊर्जा को उपलब्‍ध नहीं हो पाते! इसलिए मन की सफाई करते रहना जरूरी है.

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Oct 14, 2020