

* Jeevan Samvad: यह जो ज़रा-ज़रा सी बात पर दुखी होकर आत्महत्या करने का चलन बढ़ता जा रहा है, उसके प्रति सजग रहें, अपने मन का ख्याल रखें. जीवन में दुखी होने के अवसर बहुत से मिल जाते हैं, लेकिन प्रेम, स्नेह से साथ रहने के मौके कम मिलते हैं.


* #JeevanSamvad:अभी भी भारत में आने वाली शादियों के लिए बड़ी संख्या में रेल टिकट बुकिंग से लेकर शादी हॉल, खानपान की व्यवस्था देखकर कहीं नहीं लग रहा कि कोरोना का अस्तित्व बचा भी है!


* #JeevanSamvad: कोरोना ने हमारे बीच रिश्तों की कमजोर नींव को उजागर किया है. जीवन में संकट आते जाते रहते हैं. कोरोना वायरस भी जाएगा ही, लेकिन इसने हमारे जीवन के जिन गंभीर संकटों पर प्रश्न किए हैं, हमें उन्हें समय रहते सुलझाना चाहिए.


* #JeevanSamvad: जिंदगी में हम जितना जल्दी याद रखने लायक और भूलने लायक चीजों का फैसला कर लेंगे, हमारी जिंदगी तनाव और अवसाद से उतनी शीघ्रता से दूर होती जाएगी.


* Jeevan Samvad: रिश्तों की सेहत के प्रति सजगता होनी जरूरी है. पेड़ को बचाए रखने के लिए पत्तियों में नहीं, जड़ों में पानी देना होता है. रिश्ते हमारी जिंदगी की जड़ हैं. यही जिंदगी को ताज़ा बनाए रखते हैं. रोशनी बख्शते हैं.


* #JeevanSamvad: रिश्ते, इसलिए नहीं होते कि उन पर अपनी मनमर्जी चलाई जाए. अपने विचार लादे जाएं. रिश्ते तो इसलिए हैं कि उन पर जिंदगी की कमीज़ आसानी से टांग दी जाए.


* #JeevanSamvad: हम अक्सर करुणा और प्रेम की शक्ति को कमतर मानते हैं, लेकिन जिन्होंने इसे महसूस किया है, वह मानते हैं कि इससे जीवन की किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है!


* #JeevanSamvad: तनाव के पलों में हर पल जीतने के उन्माद से मुक्त होकर हम अपना जीवन सुकून से जी सकते हैं. हमेशा अपने को सही साबित करने से बचें, इससे जिंदगी में केवल तनाव बढ़ता है, और कुछ नहीं.


* #JeevanSamvad: हमने बाहरी चीज़ों पर सुख की निर्भरता इतनी अधिक बढ़ा दी है कि अगर वह नहीं है तो भी हमें उसे दिखाना है. जो नहीं है, उसको दिखाने का काम ही मुखौटा करता है.


* > #JeevanSamvad: संकोच और असुविधा के सारे बादल हमारे बनाए हुए होते हैं. अगर मन में सच्चा प्रेम है, तो बादलों को उड़ते हुए देर नहीं लगती, इसलिए अपनी बात को खुलकर कहने का सलीका हमें सीखना ही चाहिए.


* #JeevanSamvad: हम उतने ही अधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं, जितने ज्यादा सुरक्षा के इंतजाम करते जा रहे हैं! यह कुछ-कुछ ऐसा है, जैसे पेड़ का ख्याल रखने के नाम पर हम केवल फूल और पत्तियों को पानी देते रहें, जड़ को भूल ही जाएं!


* #JeevanSamvad: युवाओं के बीच एक चीज बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रही है. किसी भी कीमत पर अपनी हैसियत कम न बताना. अपनी सामाजिक हैसियत को कर्ज के सहारे चमकदार बनाने की चाहत ने हमें गहरे संकट में डाल दिया है.


* #JeevanSamvad: जब तक दूसरों के मुकाबले सुख को देखना हम बंद नहीं करेंगे. हम भटकते ही रहेंगे. बाज़ार का उपयोग हमें करना है, वह हमारा इस्तेमाल करने लगा. इससे बचने की जिम्मेदारी हमारी है.


* #JeevanSamvad: अपने भीतर कोमलता और रिक्तता को बनाए रखना बहुत जरूरी है. दूसरों के लिए मन में जगह बनाए बिना अपने लिए भी प्रेम को बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा!


* #जीवन संवाद: अपने प्रेम को अगर हम केवल फेसबुक लाइक, शेयर और रीट्वीट के सहारे छोड़ देंगे, तो हमारी जिंदगी कागज के फूलों के आसपास ही सिमटकर रह जाएगी. जाहिर है, जीवन की सुगंध से हम दूर होते चले जाएंगे!


* Jeevan Samvad: अपनी ओर देखना, मन पर जमा होने वाली धूल को साफ करते रहना मुश्किल तो नहीं लेकिन आसान भी नहीं. भीतर से इसके प्रति सजग नहीं होने के कारण हम इससे दूर ही रहते हैं!


* #JeevanSamvad: बांध बनाने के बाद हम अपने तालाब, कुओं की उपेक्षा करने लग जाएं, तो पानी, पर्यावरण कैसे बचेगा! रिश्तों पर भी यही बात लागू होती है. जीवन और प्रकृति एक-दूसरे के सहयात्री हैं, विरोधी नहीं!


* #JeevanSamvad: हमारे बुजुर्गों के पास जीवन को जानने-समझने का गहरा, विविधतापूर्ण अनुभव रहा है, लेकिन हमने उसे नकार दिया. कोरोना जैसे ही संकट हमारे पहले की पीढ़ियों ने देखे. उन्होंने कहीं अधिक कुशलता से इनका सामना किया था.


* #JeevanSamvad: अपने कष्ट और दुख में अंतर करने से हम सुख को कहीं बेहतर ढंग से समझ पाएंगे. शरीर का संबंध कष्ट से है. मन का संबंध दुख से है. हमें दोनों को अलग-अलग तरह से समझना पड़ेगा.


* Jeevan Samvad: भीतर कुछ और बाहर कुछ. यही दोहरे जीवन की शुरुआत है. जिंदगी में हमेशा सबकुछ हासिल करने के लिए नहीं, कभी कुछ कीमत अपने को बचाए रखने के लिए भी चुकानी होती है. जो अपने स्वभाव को बचाए रखते हैं, वही जीवन को उपलब्ध होते हैं!


* Jeevan samvad: जब भी गांव में जल संकट गहराता है, हम लौटकर सूखे कुएं और तालाब के पास ही जाते हैं. हमारे संकट भीतर से शुरू होते हैं, प्रकट बाहर होते हैं, लेकिन केवल बाहरी नहीं होते.


* Jeevan samvad: परस्पर विश्वास और प्रेम का पुल कितना ही मजबूत क्यों न हो, अगर उस पर संवाद का रंगरोगन न किया जाए, तो देर-सबेर दीमक लगने ही लगती है!


* Jeevan Samvad: यह कहानी ईमानदार कोशिश के साथ परिवार की शक्ति को बताने वाली है. संकट का सामना करने में वित्तीय समझदारी से अधिक जीवन की आस्था, साहस की भूमिका होती है!


* Jeevan Samvad: शांति केवल शब्द तक आई है. भीतर नहीं पहुंची. इसलिए, हम सब अधिकांश समय शीत युद्ध में ही होते हैं. बाहर तो युद्ध नहीं दिखता, लेकिन भीतर युद्ध की निरंतर तैयारी चल रही है!


* Jeevan Samvad: दुनियाभर में आत्महत्या के बढ़ते आंकड़े बताते हैं कि पुरुष अपने जीवन को संभालने में स्त्रियों के मुकाबले कहीं कमजोर साबित हुए हैं. आंसुओं की कमी इसकी मुख्य वजहों में से एक है!


* Jeevan Samvad: कोरोना ने हमें समझाने की कोशिश की है कि अंततः प्रेम, अहिंसा और स्नेह ही हमें बचाएगा. हम इनको छोड़कर जितनी दूर निकलते जाएंगे, हमारा जीवन उतना ही मुश्किल होता जाएगा.


* Jeevan Samvad: बच्चे पेड़ के पत्ते नहीं हैं, जो वह पेड़ की मर्जी से ही कदमताल करें. उनका स्वतंत्र जीवनबोध है. इस बात को हम जितनी सरलता से स्वीकार कर लेंगे, हमारे रिश्ते उतने ही महकेंगे.


* #JeevanSamvad: जो अपने भीतर करुणा, प्रेम और कोमलता रखते हैं. उनके भीतर ही कुछ घटने की संभावना अधिक होती है. जीवन का सुख चट्टान से अधिक मिट्टी में है!


* #Jeevan Samvad: नैतिक मूल्य के बिना मूल्य उपयोगी नहीं! यह तो कुछ ऐसा हुआ जैसे नदी में पानी है, लेकिन खारा है. केवल पानी होने से बात नहीं बनेगी, उसे मीठा भी होना होता है! ऐसा ही रिश्ता नैतिक मूल्य और मूल्य का है!


* #Jeevan Samvad: अपने मन को हम दूसरों के हिसाब से चलने की अनुमति नहीं दे सकते. किसी खास अनुभव से अपने को अलग नहीं कर पाना, मन का कहीं फंसने सरीखा है. कांटों में फंसने पर जैसे शरीर कष्ट पाता है, वैसे ही अतीत में उलझे मन भी जीवन ऊर्जा को उपलब्ध नहीं हो पाते! इसलिए मन की सफाई करते रहना जरूरी है.