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Dheeraj Deorari

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Inspirational, motivational, entertainment, educational, moral short stories for all.

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72 episodes

आज सालनी जो की प्राइमरी स्कूल की मैथ्स की टीचर है अपने छोटे छोटे प्यारे से बच्चो को जो सेकं

आज सालनी जो की प्राइमरी स्कूल की मैथ्स की टीचर है अपने छोटे छोटे प्यारे से बच्चो को जो सेकंड क्लास के बच्चे हैं एडिसन का चैप्टर का rivision करवाना था सलनी बहुत ही अच्छी, अनुभवी और एक परफेक्ट टीचर हैं अपने सब्जेक्ट को पढ़ने में उसको महारथ हासिल है वह जो एक बार पढ़ा देती है वह बच्चे जल्दी से भूल ही नहीं सकते क्लास में अन्दर आते ही सालनी ने बच्चों को अपनी अपनी बुक्स और नोटबुक्स निकलने के लिए कहा सभी बच्चे लगभग सात या आठ साल के होंगे सभी ने टीचर की बात को मानते हुए अपनी अपनी बुक और नोट बुक्स डेस्क पर निकल ली अब टीचर ने पढ़ना शुरू किया सात वर्षीय परुली को टीचर ने पूछा, "परुली अगर मैं तुमको एक सेब और एक सेब और एक सेब दूं, तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेगे ?" कुछ सेकंड अपनी नन्ही नन्ही उँगलियों पर गन्ना करने के बाद परुली ने बहुत ही आत्मविश्वास के साथ उत्तर दिया, मैडम "चार!" सालनी एक सहज सही उत्तर की उम्मीद कर रही थी जो की तीन होता पर वह परुली के उत्तर से निराश हो गई। "शायद परुली ने ठीक से नहीं सुना।" - उसने सोचा। सालनी ने फिर से दोहराया, “परुली, ध्यान से सुनो। अगर मैं तुमको एक सेब और एक सेब और एक सेब दूं, तो आपके पास कितने सेब होजाएंगे ? ” परुली ने अपने मैडम के चेहरे पर निराशा देखी थी। उसने अपनी उंगलियों पर फिर से गिनती की। लेकिन मन ही मन वह भी वही उत्तर खोज रही थी जो उसकी सबसे पसंदीदा मैडम को खुश करदे । थोडा लम्बे इन्तेजार के बाद परन्तु इस बार झिझकते हुए उसने फिर से जवाब दिया, "मैडम चार सेब ।" सालनी जो की बहुत ही अच्छी टीचर है के चेहरे पर फिर से निराशा छा गई। तभी सलनी को याद आया कि परुली को स्ट्रॉबेरी बेहद पसंद है। इस बार फिर से टीचर ने उत्साह दिखाते हुए और अपनी आँखों को टिमटिमाते हुए परुली को थोडा सहज महसूस करते हुए फिर से उसने पूछा, "अगर मैं तुमको एक स्ट्रॉबेरी और एक स्ट्रॉबेरी और एक स्ट्रॉबेरी और दे दूं, तो तुमको पास कितनी स्ट्राबेरी होंगी?" टीचर को खुश देखकर, छोटी से परुली ने अपनी उंगलियों पर फिर से पूरे उत्साह और ध्यान से गिनती की। इस बार परुली कोई दबाव नहीं महसूस कर रही थी क्युकी उसकी प्यारी सी मैडम का मूड बहुत अच्छा है , लेकिन सालनी थोड सी चिंतित और दबाव महसूस कर रही थी वह सोच रही थी कि क्या उसका पढ़ने में कहीं कोई कमी रह गई है और क्या प्रश्न बदलने पर परुली वाही जवाब दोहराएगी या उसका यह प्रयोग सफल होगा एक संकोच भरी मुस्कान के साथ प्यारी सी परुली ने उत्तर दिया, "मैडम तीन स्ट्राबरी ?" जबाव सुन सलनी के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान बिखर गयी उसे अपने इस छोटे से प्रयोग के सफल होने पर बहुत खुसी हुयी वह मन ही मन अपने आपको बधाई दे रही थी। सालनी ने अब फिर से वाही सवाल सेब को लेकर भी करना चाहती थी और जानना चाहती थी की क्या परुली सही मायने में सवाल को समझ पाई है इसलिए उसने एक बार फिर परुली से पूछा, "अब अगर मैं तुम्हें एक सेब और एक सेब और एक और सेब दूं तो तुम्हारे पास कितने होंगे?" तुरंत नन्ही सी प्यारी सी परुली ने उत्तर दिया, "मैडम चार सेब !" सालनी जो अबतक बहुत ही सिस्ट, नरमी और एक मुस्कान के साथ प्रश्न पूछ रही थी एकदम क्रुद्ध और खिन्न हो गयी और अपनी आवाज में थोडा डांटने वाली कठोरता से बोली "कैसे परुली , कैसे?" परुली भी अपनी प्यारी सी मैडम के चेहरे पर आये भाव से निराश हुयी वह भी सोचने लगी की मैडम को उसका उत्तर क्यूँ पसंद नहीं आ रहा है जबकि वह तो एक डैम सही जवाबदी दे रही है परुली से अपनी प्यारी मैडम की नाराजगी अच्छी नहीं लगी तो अपने आप को सही साबित करने के लिए थोडा झिझकते हुए उत्तर दिया, "क्योंकि मैडम मेरे बैग में पहले से ही एक सेब है।" सालनी परुली का उत्तर सुन स्तब्ध भावुक और उस बच्ची की मासूमियत और सच्चाई की कायल हो गयी कभी कभी एसा भी होता है जब कोई आपको ऐसा उत्तर देता है जो आपकी अपेक्षा से भिन्न होता है, तो यह मत सोचिए कि वे गलत हैं। हो सकता है उसकी नजर में एक ऐसा दृष्टिकोण होगा जिसके बारे में आपने अभी तक सोचा ही नहीं होगा। मंजिल पर सफलता का निशान चाहिए होंठों पे खिलती हुई मुस्कान चाहिए बहलने वाले नहीं हम छोटी से टुकड़े से हमे तो पूरा का पूरा असमान चाहिए

5m
Mar 05, 2021
मधु और रोमा

मधु और रोमा की सच्ची दोस्ती।

13m
Feb 17, 2021
ज्योति के साथ अजय ने धोका किया जिस से वह बहुत प्यार करती थी

ज्योति बहुत टूट गयी थी वह जीना छोड़ चुकी थी कि तभी उसके साथ हुए एक हादसे ने उसे फिर से जीवन जीना सिखाया

11m
Feb 12, 2021
भारत सिंह नेगी के अदम्य साहस की कहानी जो कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार उनकी कैद से मुक्त हो अपने देश

भारत सिंह नेगी के अदम्य साहस की कहानी जो कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार उनकी कैद से मुक्त हो अपने देश वापस लौट आया। इस दौरान उसे दो गोलियां भी लगी एक उसके कंधे पर और एक उसकी गर्दन पर।

17m
Feb 06, 2021
ये कहानी है स्तुति है की स्तुति बहुत ही सुन्दर गोरी और लम्बी लड़की है जो भी उसे देखता है तो देखता ही

ये कहानी है स्तुति है की स्तुति बहुत ही सुन्दर गोरी और लम्बी लड़की है जो भी उसे देखता है तो देखता ही रह जाता है माँ और पिता पढाई का महत्वा जानते हैं इसलिए बहुत कठिन प्रयास कर अपने तीनो बच्चों को पढ़ा रहे हैं स्तुति MA में है और उसके छोटे भाई बहन १० वीं और १२ वीं में हैं स्तुति के पिता किसान हैं और माँ गृहणी हैं आज पिता माँ का सोने का गुलोबंद जो की लगभग 1 साल से गिरवी था छुड़ा लायें है पिता ने खेती के लिए गुलोबंद को गिरवी रखा था माँ को अपना गुलोबंद बहुत पयारा है माँ उसे देखा बहुत खुश हुयी उनके पास एकमात्र यही आभूषण असली है बाकि सब नकली हैं. पिता माँ से बात कर रहे थे इस बार बहुत कम बारिश की वजह से जंगली जानवरों ने जंगल छोड़ खेतों की और रुख कर लिया है और फसल को बहतु नुकसान पहुँचा रहे हैं इस बार खेत पर और अधिक रखवाली करनी होगी स्तुति को इस बात की बहुत पीड़ा है की वह एक गरीब परिवार में पैदा हुई है उसके मित्र रोज कॉलेज में बहुत ही स्टाइलिश और अच्छे कपडे पहन कर आते है हैं और वह मजबूरी के चलते कॉलेज की ड्रेस जो की सफ़ेद सलवार कुरता पहनना पड़ता है हालाँकि की स्तुति अपने कॉलेज ड्रेस में भी बहुत सुन्दर लगती है पर फिर भी उसे कॉलेज की ड्रेस बिलकुल भी पसनद नहीं वह भी अपने दोस्तों की तरह जीन्स,टॉप और बूट पहनना चाहती है उसके सभी दोस्तों के पास स्मार्ट फोन हैं और उसके पिता ने उसे एक सामान्य सा फ़ोन दिया है जो केवल कॉल करने के कम ही आता है इसलिए स्तुति उसे अपने बैग में छुपा कर और म्यूट कर के रखती है उसे उसे इस्तेमाल करने में बहतु शर्म अति है उसके कभी फ़ोन करना भी होता है तो वह दोस्तों के फ़ोन से कॉल कर लेती हैं उसके किसी भी दोस्त को नहीं पता की स्तुति के पास फ़ोन भी है पढाई में स्तुति अपने कॉलेज में सब पर भरी थी वह अपने क्लास की सबसे होनहार बालिका है एक बार की बात है की कॉलेज की तरफ एक एजुकेशन टूर देहरादून जाना था कॉलेज में प्रोफेसर ने बताया की उन्हें अपने कॉलेज ड्रेस के अलावा दुसरे कपडे भी साथ रखने होंगे साथ ही एजुकेशन टूर के दौरान जो कुछ भी देखो उसकी फोटो और विडियो रिकॉर्डिंग भी करनी है जिसे से की वापस लौटने के बाद आप अपनी रिपोर्ट बना और जमा करवा सको जिसके आपको अंक प्राप्त होंगे स्तुति बहुत खुश हो गयी उसका सपना देहरादून देखने का तो था ही और वेसे भी यह पहला अवसर था जब वह अपने जनपद से कहीं बहार रहेगी और अपने दोस्तों के साथ मजे करेगी वह इस बात को सोच सोच कर बहतु ही रोमांचित हैं परन्तु यह खबर उसके लिए कुछ मायूशी भी लेकर आया स्तुति के पास फोटो खीचने और विडो रिकॉर्डिंग के लिए स्मार्ट फ़ोन नहीं है और ना ही उसके पास अपनी स्कूल ड्रेस के अलावा कोई इसे कपडे जिन्हें पहन कर वह उस टूर पर जा सके पिता के पास इतने पैसे नहीं की उसे दो जोड़ी नए कपडे दिलवा सकें तो मोबाइल के विषय में सोचना तो सपनो की बात है परन्तु उसने फिर भी अपने स्कूल की एजुकेशन टूर की बात माँ को बता दी और उसे मोबाइल और नए कपड़ों की अवास्कता है यह भी बता दिया है माँ ने पिता से उस विषय में बात की थी पर पिता ने नए जोड़ी कपडे और टूर के लिय कुछ पैसों का इन्तेजाम करने की बात तो स्वीकार ली परन्तु स्मार्ट फोने के लिए असमर्थता जाता दी स्तुति अपने परिवार के स्तिथि के बारे में सब समझती है उसने माँ से बात की माँ मै चाहती हूँ की कुछ भी करके मुझे एक मोबाइल फ़ोन कम से कम एजुकेशन टूर के लिए ही मिल जाये तो मै अपना प्रोजेक्ट पूरा कर पाऊँगी (स्तुति के पड़ोस में रहने वाले पडोसी अंकल की मोबाइल की शॉप है) माँ यदि पापा अंकल से बात करके कुछ दिन के लिए मोबाइल का इन्तेजाम करवा दें तो ? स्तुति को सोमवार को जाना है और आज रविवार है उसे अपनी सभी पैकिंग भी करनी है जब माँ ना स्तुति की इच्छा पिता को बताई तो पिता ने साफ़ मन कर दिया उन्होंने थोडा नाराज होते हुए बोले देखो स्तुति पैर उतने ही पसारने चाहिए जितने चादर लम्बी हो मै यह जरूर कहता हूँ की सपने ऊंचे और बड़े देखो पर उसका मतलब यह नहीं की तुम जीवन में शोर्टकट लेकर कोई चीज प्राप्त करों क्यूंकि शॉर्टकट से प्राप्त चीज न तो तुमको वो ख़ुशी दे पाएगी और न ही उस ख़ुशी की उम्र लम्बी होगी मै चाहता हूँ की पहले तुम उस चीज के लायक बनो और फिर उस चीज को प्राप्त करो पता है आज के युग में एक अच्छी नौकरी पाना युद्ध लड़ने जैसा है अपना ध्यान उस युद्ध को जीतने पर लगाओ अपना लक्ष्य बड़ा रखो समझे फ़ोन क्या चीज है फिर तुम जो चाहो खरीद सकते हो स्तुति ने नौकरी के लिए कई फॉर्म भी भरे हैं स्तुति मन मशोस के रह गई वेसे तो स्तुति बहुत ही अग्यांकारी है परन्तु आज उसे पिता की बात मानने का बिलकुल भी नहीं कर रहा है उसने माँ को बोला माँ पापा के ज़म

14m
Jan 31, 2021
अभी मै जानती हूँ तुम बहुत परेसान हो प्रिया अभिमन्यु को अभी कह कर बुलाती है मै तुम्हे और परेसान तो

अभिमन्यु बहुत तेज दौड़ रहा था आज कुछ भी हो जाये उसे उस दौड़ में सबसे आगे रहना ही है नहीं तो उसका जीवन का लक्ष्य उसके हाथ से निकल जायेगा वेसे भी यह उसका अंतिम अवसर है उसके ऊपर उसके पूरे परिवार की जिम्मेदारी भी है यदि आज वह इस दौड़ से बहार हो जाता है तो उसके भाई बहन की पढाई लिखाई का क्या होगा माँ का क्या होगा, उसके सपने और हाँ उसकी दोस्त प्रिया जिससे से उसने जीवन संगनी बनाने का वादा किया है उसका क्या होगा अभिमन्यु का सपना फोजी ड्रेस पहन अपने देश की सेवा करने का है वह बचपन से ही इसके सपने देखता आया है और इसके अलवा कुछ नहीं यदि वह भरती हो जाता है तो उसका सपना ही नहीं पूरा होगा अपितु उसकी सारी समस्याओं का भी समाधान हो जाये गाय उसने इससे पहले भी फोज में भारती होने के लिए तीन बार दौड़ लगाई थी परन्तु दौड़ में नहीं निकल पाया था फोज में सिपाही भारती होने की अधिकतम उम्र सीमा 21 साल है इसके बाद अभिमन्यु की उम्र २१ पार हो जाएगी और फिर वह फोज मै भरती नहीं हो पायेगा और इतना समय उसके परिवार के पास नहीं की वे किसी और नौकरी के लिए इन्तेजार कर सकें दोड़ते हुए अभिमन्यु के दिमाग में न जाने ऐसे कितने विचार बिजली की गति से चल रहे थे ये कहानी है अभिमन्यु की वह पहाड़ के गाँव में रहता है वह बी0ए0 फाइनल इयर में है वेसे तो पारिवारिक रूप से एक सामान्य परिवार से ही है पिता जो पहले नौकरी करते थे अब इस दुनिया में नहीं रहे परिवार में माँ, छोटी बहन और एक भाई है हो अभी पढ़ रहे हैं जब तक पिता जीवत थे तो घर का गुजरा उनकी कमाई से हो ही जाता था उसके पिता को गुजरे अभी 6 महीने हुए हैं उनका पूरा परिवार उन्हें बहुत यद् करता है उनकी मृत्यूं के बाद से उनकी आर्थिक स्तिथि बहुत दयनीय हो गयी है सुभ सुभ अभी अभिमन्यु और सभी भाई बहन सो कर ही उठे है तभी उसकी छोटी बहन जो 5 क्लास में पड़ती है बोली भय्या क्या पापा अब कभी भी नहीं आएंगे? क्या हम उनसे मिलने नहीं जा सकते ? क्या पापा को हमारी याद नहीं अति होगी ? पापा तो बोलते थे की मै उनकी परी हूँ फिर वो हम सब को अकेला छोड़ क्यूँ चले गए ? मुझे तो उनकी बहुत याद आती है और रोने लगी अभिमन्यु के पास आँखों में आंसुओं के अलाव कोई जवाब नहीं था उसने अपनी छोटी बहन के आँखों में आ रहे आंसुओं को पोंचा और उसको गले लगा लिया वह अभी कुछ बोल उसे टहलना ही चाहता था की उसने फिर से बोला

9m
Jan 27, 2021
माँ बचाओ बिदिया बस इतना ही बोल पाई थी की भालू ने बिदिया को सोलटा और उसके कपड़ों सहित पकड़ अपनी

सरुली बहुत तेजी से भागीती हुयी गाँव के चोक तक पहुंची और हांफते हुए चिलाने लगी बिदिया को भालू ने उठा लिया है जल्दी चल कर उसे बचाओ नहीं तो वो उसे मार देगा जल्दी कुछ करो जल्दी बचा लो बिंदिया को ये कहानी हैं जोशीमठ के एक गाँव की यह गाँव जोशिमठ बाजार से थोड़ी ही दुरी पर है गाँव के अधिकतर लोग खेती करते हैं और पशु पालते हैं और पशुवों के लिए चारे के लिए जंगल में उग रही घास और पत्तियों पर निर्भर रहते हैं अधिकतर सभी घास लेने के लिए महिलाएं ही जंगल जाती हैं बिंदुली बहुत ही होनहार बालिका है वह अभी B.Sc फाइनल इयर में पढ़ती है और जिस दिन कॉलेज की छुट्टी होती है उस दिन माँ को मदद करने के लिए माँ के साथ घास लेने उनके साथ जंगल चली जाती है एक दिन की बात है जब कॉलेज की छुट्टी थी तो बिंदुली अपनी माँ और अन्य महिलाओं के साथ घास लेने के लिए जंगले गयी हुई थे एकसाथ जंगल जाने में कई फायदे होते हैं एक तो साथ बना रहता है काम में मन लगा रहता है और क्यूंकि की जंगल में कभी कभी जंगली जानवरों जैसे गुलदार, बाग़ आदि से सामना होता है तो वो ज्यादा लोगों को देख भाग जाते हैं जंगल गाँव से लगा हुवा था बस मुस्किल से 500 मीटर की चढाई के बाद उन सभी ने घास काटना शुरू कर दिया कुछ आपस में बात कर रहे थे कुछ मस्ती में पहड़ी गीत गाते हुए घास काट रहे थे बिंदिया और उसकी माँ गदरे के किनारे गदेरा जो की पहड़ी नाला है के पास में ही एक दुसरे से थोड़ी दुरी पर ही घास काट रहे थे बिंदिया घास काट काट कर अपनी पीठ पर लगी बांस की लम्बी से टोकरी जिसे सोलटा बोलते हैं उसमें डालने में व्यस्त थी की अचानक बिंदिया के सामने एक भालू आ गया माँ बचाओ माँ बचाओ बिदिया बस इतना ही बोल पाई थी की भालू ने बिदिया को सोलटा और उसके कपड़ों सहित पकड़ अपनी गुफा में खींच लिया और उसे अन्दर छोड़ कर खुद बहार आ कर बैठ गया बिंदिया चिलाने के अलावा कुछ नहीं कर पाई अचानक हुए इस हमले में बिंदिया की घास काटने की दरांती भी हाथ से छूट गयी थी भालू ने इतनी फुर्ती से या काम किया था मेरी बेटी को भालू खींच कर अपनी गुफा में लगाया कोई बचाओ मेरी बेटी को कोई बचाओ मेरी बेटी को माँ भी चिल्लाने के सिवाय कुछ नहीं कर पाई पहाड़ों में रहने वाले अधिकतर लोग जंगली जानवरों के हमले में सबसे जयादा भालू के द्वारा किये गए हमले में ही घायल होते हैं गुफा के बहार धुप खिली हुयी थी और अचानक अँधेरे में आने के कारण बिंदिया को बहुत अँधेरा लग रहा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बिंदिया को लगा की आज उसका यह आखरी दिन है बिंदिया जानती थी की मादा भालू वर्ष के इस समय अपने बच्चों के साथ भोजन की तलाश में निचले इलाकों में अति है हो सकता है की गुफा में और भी भालू हों बिंदिया का दिल डर के कारण बहुत जोरी से धड़क रहा था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की यह सच में घटित हो रहा है थोड़ी देर में बिंदिया की आँखों को गुफा में साफ़ साफ़ दिख रहा था वहाँन कोई और भालू नहीं था बिंदिया ने थोड़ी रहत की सांसं ली बिदिया को वह भालू गुफा के मुह पर बैठा दिख रहा था उसे सभी महिलाओं की आवाज भी सुनाई दे रही थी सारी महिलाएं एक साथ इकठा हो गयी थी सबने भालू को भागने के लिए शोर मचाया पत्थर फेंके पर भालू टस से मस नहीं हुवा वह भालू बहुत बड़ा था बिंदिया की माँ के आँखों से लगातार आंसूं बह रहे थे वह अपने आप को कोष रही थी मेरा दिमाग ख़राब था जो अपनी फूल सही बच्ची को साथ लाई हे विधाता हमने तुम्हारा क्या बुरा किया जो तुमने मेरी बच्ची को इतना बड़े भलू के हवाले कर दिया एसा करना ही था तो बिंदिया की जगह मुझे भालू के आगे कर देते हे ईस्टदेव मै उचाणा करती हूँ की मेरी बेटी यदि सुरक्षित बच जायगी तो मै तुम्हारे नाम का पूजन करूंगी प्रशाद बांटूगी हे राजराजेश्वरी भगवती नंदा माँ मेरी बच्ची को बचा ले भालू ज़्यादातर दिन के समय ही सक्रिय होते हैं, । इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तीव्र होती है। भालू तेज़ी से दौड़ सकते हैं ये अक्सर ग़ुफ़ाओं या ज़मीन में बड़े गड्ढों में अपना घर बनाते हैं। यह भालू जिसने बिंदिया को गुफा में अन्दर कैद कर लिया था वास्तविकता में आम देखे गए भालुओं से बड़ा था वो वहां कब आया था और कब से रह रहा था किसी को नहीं पता था इस लिए उन महिलाओं में से सबसे फुर्तीली और जवान महिला सरुली ने गाँव की तरफ सहयता के लिए दौड़ लगा दी बाकि महिलायं वहीँ रुकी रही जब तक की सहयता नहीं पहुँच जाती गुफा से बिंदिया की भी आवाज आ रही थी फ़िलहाल वह सुरक्षित है भालू अभी भी गुफा के बहार बैठा था यदि वो वहां से भागने की कोशिश करती तो भालू हो सकता है उस पर हमला कर देता सभी महिलाओं ने आवाज लगा कर

12m
Jan 22, 2021
राणा को धुंदली सी याद है जब उसके पिता उसे टैक्सी स्टैंड पर बिठा चॉकलेट लेने गए और फिर कभी नही लौटे।

राणा को बहुत धुंदली से याद है वह बरसात का मौसम था जब उसके पापा उसको उस छोटे से कसबे के टैक्सी स्टैंड के पास बैठा कर उसे यह बोल गए थे की वो अभी आ रहे हैं उसके लिए चोलेट लेकर और फिर वे कभी नहीं लोटे माँ की भी उसे धुंदली सी याद है की बहुत बीमार थी जब बहुत सारे लोग उने अपने कंधे में उठा शायद शमसान ही ले गए होनगे वह तब बहुत छोटा था पापा ने दूसरी शादी करने के चलते उसे शायद त्याग दिया था शायद उसकी उम्र 5 या 6 साल की रही होगी जब बहुत देर तक उसके पापा उसे लेने नहीं आये तो राणा रोने लगा तब वहां मौजूद किसी ने भी उससे सहानुभूति नहीं दिखाई और उसे मुसीबत समझ उसे सके हाल पर ही छोड़ दिया परन्तु वहां एक भिखारी था जिसे शायद उस पैर दया आई थी या वह चाहता था की उसके बुढ़ापे में कोई तो उसका सहारा हो तो उसने उसे कुछ समय के लिए पाला था कुछ समय के लिए इस लिए क्यूंकि 8 साल बाद उस भिखारी की अधिक बूढ़े होने के कारन म्रत्यु हो गयी भिखारी के मरने से राणा की स्तिथि में बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ा क्यूंकि राणा तब भी अपना खाने पीने के लिए बाज़ार के होटले में बर्तन ढोने और ग्राहकों को चाय देने का कम करता था हां खाना वो केवल दो समय ही खता था दोपहर और शाम को होटल मे शुरू में तो सब उसे छोटू ही बुलाया करते थे एक दिन की बात है की जब वह छुट्टी के दिन जब सारा बाज़ार बंद रहता है वह घूम रहा था तो उसने देखा की छोटा सा घोड़े के बच्चा गड्डे में फसा हुवा है और उसका एक पैर बहुत जख्मी है उसने उस घोड़े के बच्चे को बहार निकला और अपने साथ ले आया उसने नहीं पता था की होटले का मालिक उसको क्या तनखा देता था क्यूंकि वह तो वह भिखारी ले लिया करता था और जब उसके तनखा के पैसे भिखारी को मिलते थे तो पास के गाँव में बन्ने वाली कच्ची शराब राणा से मंगवा कर पिया करता था भिखारी के मरने के बाद उसको विरासत में वह जगह जरूर मिल गयी थी जहाँ वह रहता था आज राणा बहुत खुश है क्यूंकि उसके होटल मालिक ने उसको तनख्वा के रूप में उसे तीन हजार रूपये दिए इतने पैसे राणा ने इससे पहले कभी भी नहीं देखे थे उसने अपने लिए अच्छे कपडे खरीदे और एक अच्छे से जूते जब से वह घोड़े का बाचा राणा के पास आया था राणा को हमेसा एक अच्छा अहसास और सकून मिलता था बात भी सही थी जब से वह घोडे का बच्चा आया था उसके जिदगी में सकरात्मक बदलाव आते रहे वह भिखारी की गुलामी से मुक्त हो गया उसको तनकखा मिलने लगी थी लगभग १० माह में ही वह घोड़े का बच्चा काफी बड़ा हो गया है जब छोटू उस घोड़े के बच्चे के पीठ पर चढ़ कर घूमता था तो लोगों ने उसे राणा के नाम से पुकारना शुरू कर दिया और उसने अपने घोड़े का नाम चेतक रख दिया तभी से छोटू का नाम राणा पड गया 6 साल के बाद की बात है क्यूंकि राणा और चेतक बचपन से साथ साथ खेलते बड़े हुए थे और बचपन से दोनों ने ही एक दुसरे को बड़ा होते हुए देखा था उनके बीच में आपसी समझ और एक दुसरे की बातों को समझने की अद्भुत छमता थी अब राणा ने होटल की नौकरी छोड़ दी थी और चेतक उसके लिए कमाऊ पूत हो गया था दिन भर चेतक अपनी पीठ पर सामन सामन ढोया करता था चेतक बहुत ही सुन्दर घोडा था और राणा भी अपने नाम अनुरूप बहुत ही सुन्दर लम्बा चौड़ा और सुन्दर नौ जवान में बदल गया था उनका काम बाज़ार से सामन चेतक पर लाद बाज़ार से दूर गाँव तक लेजाना होता था जहाँ जाने के लिए केवल पैदल रास्ता होता था इन कुछ सालों में चेतक समझ गया था की जब उसपर सामान लादा जाये तो कहाँ पहुचना है पहाड़ी रास्ता होने के कारन रस्ते के आधे हिस्से में पहुँच विश्राम करने के लिए लोगों के द्वारा उस जगह को समतल कर आराम करने के लिए विश्राम स्थल बनाया गया था इस जगह को लोग कुलडी कहा करते थे अधिकतर लोग जो बाज़ार से गाँव की तरफ जाते थे वो वहां विश्राम किया करते थे एक दिन जब राणा चेतक पर सामन लदवा रहा था तो उसकी नजर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की पर पड़ी यह बाज़ार का सबसे बड़ा और अलिसान माकन था वह लड़ी इतनी खूबसूरत थी की राणा उसे देखता रह गया और एसा नहीं था की केवल राणा ही उसे देख रहा था वह लड़की भी उसे लगातार एक टक उसे ही देख रही थी न जाने चेतक को क्या हुवा उसने राणा को जोर से धक्का मार दिया अक्षर चेतक नाराज होने पर एसा कर दिया करता था राणा का ध्यान पलटा और उसे याद आया की वह तो सामन लाद रहा था राणा ने एक बार फिर पलट कर देखा वह लड़की राणा को देखते हुए अन्दर चली गयी अब रोज जब भी राणा वहन पहुँचता वो लड़की भी अपनी घर किए बालकोनी में छत में किसी न किसी बहाने से आ ही जाती थी पर अक्षर चेतक राणा से

13m
Jan 16, 2021
विजय ने बोला अभी एक बुढिया आई थी खाने को मांग रही थी मै तो अपने मोबाइल में आज की फोटो देख रहा

ये कहानी के एक प्रसिद्ध माँ दक्षिणेस्वर कलि के एक मंदिर की यह मंदिर पूरी पिंडर घाटी में बहुत प्रसिद्ध है इस मंदिर में सभी लोगों की बहुत आस्था है अधिकतर स्थानीय लोग जब भी नौकरी से या बहार से घर लौटे हैं तो माँ कलि के दर्शन करने के लिए जरूर जाते हैं ऐसे ही एक दिन जब मैं अपने गाँव सूना लोटा तो मेरे साथ मेरे कुछ मित्र भी घुमने के लिए आये थे मुझे अपना गाँव और यह इलाका बहुत पसंद है जैसे ही कर्णप्रयाग से पिंडर घाटी के और गाडी चलती है पूरा का पूरा वातावरण ही बदल जाता है मौसम बहुत ही खुशनुमा हो जाता है चरों और हरियाली और साथ सड़क के उलटे हाथ पर कल कल बहती अलकनंदा की एक सहायक नदी पिंडर यह पिंडर नदी पिथोरागढ़ से पिंडारी ग्लेशियर से निकल कर करन्प्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है वह जून महीने का आरंभ था हम 3 दोस्त मै विजय और कार्तिक अपनी कार से देहरादून से सुबह 5 बजे चले थे और पहाड़ी रस्ते का आनंद लेते ही लगभग 2 बजे थराली बाज़ार पहुँच गए थे कार्तिक के पिता नहीं है उसकी माँ ने ही बहुत महनत करके उसे पाला है कार्तिक का बचपन गरीबी में गुजरा है वह चाहता है की बहतु सारे पैसे कामा कर अपनी माँ को पूरा विश्व घुमाये और उसे वह हर सुख और सुविधा दे सके इसलिए वह काफी समय से विदेश में नौकरी करने का सपना पाले हुए था और लगभग 2.5 साल से उसके लिए कठिन परिश्रम कर रहा था विजय फोटोग्राफी में B tech engener था और मुंबई में एक बहुत अच्छी फिल्म कंपनी में काम कर रहा था विजय पहले से ही संपन्न परिवार से है और हमेसा मस्त रहता है उसका सपना फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म डायरेक्शन के फील्ड में अपना नाम कमाना है मेरा गाँव थराली से लगभग 1.5 किलोमीटर की पैदल दुरी पर हैं जब हम पैदल गाँव पहुंचे तो वहां मेरे ताओजी का बेटा प्रेम चन्द्र भाई और अन्य सम्बन्धी हमारा इन्तेजार कर रहे थे प्रेम चन्द्र बहुमुखी प्रतिभा का धनि है वह एक बहुत ही पारंगत लोक गीत लोक न्रत्य और कई वाद्य यंत्रों को पेर्फेक्टेली बजा लेता है वह पूजा पाठ में भी बहुत रूचि रखता है पूरे इलाके में यदि कभी भी रामलीला का आयोजन होता था तो प्रेम उसे आयोजित न करवा रहा हो यह हो ही नहीं सकता था उसदिन आराम करने के बाद प्रेम ने मुझसे पुछा की भाई बहुत दिनों बाद घर लोटे हो आपका क्या विचार है तब मैंने उसे बताया की सबसे पहले माँ कालि के मंदिर जाने है फिर बाकि जगह घूमने का प्लान फिर बनायेंगे तभी कार्तिक बोला अरे तुम लोग भी किस अन्धविश्वास में जीते हो जो लोग मंदिर नहीं जाते क्या भगवन उनसे खुश नहीं होते क्या पूरा अमेरिका और यूरोप मंदिर नहीं जाता तो क्या वो खुश नहीं है वो तो हमसे ज्याद एडवांस है और लगभग हमसे 150 साल आगे जी रहे हैं कार्तिक और विजय एक दुसरे के विचारों से सहमत थे मैंने कहा कोई बात नहीं हम माँ के दर्शन के लिए जायेगे और तुम पिकनिक मनाने चलो खाना वहीँ बनायेंगे सभी मेरी बात से सहमत थे वह मंदिर हमारे गाँव से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी के ऊपर विद्मन है 10 किलोमीटर तो कार से जा सकते थे पर बाकि का 7 किलोमीटर पैदल और खड़ी चढ़ाई थी मैंने साथ के लिए अपने ताऊजी जी के बेटे प्रेमचन्द्र को भी साथ ले लिया वो उस जगह से बहुत अच्छे से परिचित है और स्थानीय होने के कारण हर शुभ अवसर पर न जाने साल में कितनी ही बार माँ के दर्शन हेतु जाता रहता है हम सभी सुबह नाहा धो कर तैयार थे और लगभग ११ बजे हम सभी अपने पूरे साजो सामन के साथ मंदिर के लिए चल दिए १० किलोमीटर हमने अपनी कार से सफ़र किया और कार को सुरक्षित स्थान पर पार्क कर के दुकान से पूजा का सामन ले लिया क्यूंकि उतनी ऊँचाई पर न तो कोई दुकान है न प्रशाद की खरीदने की कोई व्यवस्था हमने अपने साथ कुछ गर्म कपडे और बरसाती भी रखी थी क्यूंकि यहाँ पर मौसम कब बदल जाये पता ही नहीं चलता और जून के मौसम को दिसम्बर के ठन्डे में बदलने में बस चंद मिनट लगते हैं हमने अपनी चढ़ाई आरंभ की मेरे दोनों मित्र बहुत प्रस्सन थे विजय और कार्तिक को फोटो लेने का बहुत शोक है अभी हमने चलना शुरू ही किया था और वो दोनों फोटो लेने लगे अरे ! विजय देख कितना अच्छा सीन है विजय अपने साथ प्रोफेस्स्नल कैमरा साथ लाया था और कार्तिक के पास अपना मोबाइल फ़ोन जो बहुत ही अच्छी फोटो खेंचता था अरे कार्तिक वो देख कितना अच्छा पीले रंग का जंगली फूल इस फूल को फुन्य्ली कहते हैं प्रेमचन्द्र ने कहा अरे भय्या आप जब ऊपर मंदिर के प्रांगन में पहुंचोगे न तब देखना वहां से हिमालय के बर्फ के पहाड़ पूरी

12m
Jan 15, 2021
अभिषेक का दिल बहुत जोर जोर से धड़क रहा था आज वह अपने सपने को सच करने जा रहा था उसका सपना था की व

अभिषेक एक बहुत ही गरीब परिवार का लड़का था वह परिवार की ख़राब पारिवारिक परिस्तिथि के चलते दुकान में काम किया करता था परन्तु बुद्धि से बड़ा ही कुशाग्र था दुकान के मालिक गोपालजी भी उसकी बुद्धिमता और तीव्र बुद्धि के कायल थे उनके कोई संतान नहीं थी वे भी अभिषेक से वह बहुत प्यार करते थे उनकी पत्नी आशा तो उसे अपना पुत्र ही मानती थी उसके खाने पीने का बहुत धयान रखती थी गोपालजी अभिषेक को उसकी पगार के अलावा पढने लिखने के लिए अतिरक्त पैसे दिया करते थे और महीने में उनकी पत्नी उसे एक न एक नया कपडा जरूर देती थी दुकान में जब कोई नहीं आता था तो गोपालजी अभिषेक को पढने के लिए बोलते थे अभिषेक भी उनके साथ बहुत घुल मिल गया था उसे देख कर एसा लगता था की वह उनका अपना पुत्र हो कभी कभी तो अभिषेक उनसे नाराज भी हो जाता उनसे बात नहीं किया करता था तब दोनों उसे बड़े पयार से मिन्नत करके उसे मानते थे आस पास के दुकानदार उनका मजाक बनाया करते थे बोलते थे गोपालजी ने एसा नौकर पला है की गोपालजी और उनकी पत्नी को ही नोकर बनाये हुए है उन लोगों एसा कहना था की एक दिन वह लड़का उनेहे बहुत बड़ा धोका देगा तब उन्हें पता चलेगा उन सबका मानना था की अधिक पायर देने से बेटा बिगड़े भेद देने से नारी लोभ देने से नोकर बिगड़े और धोका देने से यारी अभिषेक को भी अपने मालिक बहुत पसंद थे अभिषेक बड़ा होकर बहुत ही धनवान व्यक्ति बनना चाहता था अभिषेक के घर में केवल माता है जो की बहुत बूढी है लोगों का कहना है की अभिषेक उनका अपना बेटा नहीं है वह उन्हें मंदिर के पास मिला था तब उनकी उम्र 63 साल थी आज उनकी उम्र 80 साल है इसलिए आशा दुकान से कभी रश, बिस्कुट , मेवे और कपडे उसकी माँ के लिए भिजवाती रहती थी अभिषेक का घर बाज़ार से 2 किलोमीटर दूर गाँव में था वहां तक कोई गाड़ी नहीं जाती थी पैदल ही आना जाना पड़ता था आज अभिषेक दुकान नहीं आया था गोपालजी और आशा बहुत देर तक उसका इन्तेजार करते रहे अभिषेक के न आने के वजह से उन दोनो का मन न तो घर में और न दुकान में लग रहा था गोपालजी तो फिर भी दुकान में थे तो लोगों को सामन देने और पैसे लेने में समय निकल ही रहा था पर आशा का घर में बैठे बैठे मन बहुत ही उदास हो रहा था वो सोच रही थी कहीं अभिषेक बीमार तो नहीं हो गया अगर वो बीमार हो गया होगा तो कोन उसकी देख भाल करेगा उसकी माँ तो वेसे भी बहुत बूढी है और कहीं एसा तो नहीं उसकी माँ की ही तबियत ख़राब हो आशा को लग रहा था की गोपाल जी कितने कठोर दिल के हैं उन्हें अभिषेक की जरा भी चिंता नहीं अब मैं इन्हें बोलूं भी तो केसे बोलू की अभिषक की खोज खबर करके आओ आखिर थक हार कर आशा ने गोपालजी से बोली ही दिया सुनिए क्या आप अभी जा कर अभिषेक का पता लगा कर आओ की वह आज क्यूँ नहीं आया है? गोपालजी भी मनो इसी बात का इन्तेजार कर रहे थे की कोई उसे बोले की अभिषेक का पता लगाकर आना है आशा का बोलना था और गोपालजी घर की चप्पलों में ही बिना कपड़े बदले अभिषेक के घर की और दोड पड़े आशा भी उनका उतावला पन देख अपनी हंसी नहीं रोक पाई और मन ही मन सोचने लगी भले ही वे बहार से कठोर नजर आते हूँ पर है बड़े कोमल ह्रदय के और आशा की ऑंखें डबडबा ने लगी उनके विवाह को 30 साल हो गए थे और उनकी कोई संतान नहीं थी फिर भी गोपालजी और आशा का जीवन बहुत ही मधुर था कमी थी तो केवल एक उतराधिकारी की जो उनके बुढापे में उनकी सुध ले सके गोपालजी और आशा को लगता था की वे अभिषेक को गोद लेलें पर यह बात करें भी तो किस से बस यही सोच आज तक यह बात उनके मन में ही दबी हुई है गोपालजी ने दुकान से जो दौड़ लगनी शुरू की तो अभिषेक के घर पर जाकर ही रुके इतना उतावलापन तो पन तो किसी छोटे बच्चे में दिख सकता था अपनी उम्र के हिसाब से गोपालजी ने आज बहुत तेजी से 2 किलोमीटर का सफ़र तय किया अभिषेक की मट्टी और पत्थर के टूटे फूटे घर के आगे पहुँच हांफे हुए अभिषेक को आवाज दी अभिषेक ओ अभिषेक अभिषेक की बूढी माँ बहार आई गोपालजी को देख बहुत खुश हुई वह उनके और उनकी पत्नी के द्वारा समय समय पर उनके द्वारे किये गए उपकार के लिए क्र्तग्यता प्रकट कर रही थी पर गोपाल जी को तो फिलहाल केवल अभिषेक की ही चिंता थी गोपाल जी ने पुछा अभिषेक कहाँ हैं आज वह काम पर क्यूँ नहीं आया अभिषेक की माँ ने बताया कल आते वक़्त गाँव के बच्चोन के साथ नदी में नहाया था इसी वजह से सर्दी और बुखार हुवा है अन्दर लेटा हुवा है गोपाल जी सुनते ही बहुत विचलित हो गाये और तुरंत लपक कर घर में अन्दर

11m
Jan 11, 2021
दोनों बहिने हौंसला नहीं हारी थी वे जानती थी अभी समय ख़राब है और एक दिन वो अपने होंसलों से उड़ान जरूर

तानवी और तान्या दो बहुत ही खुबसूरत बहने हैं दोनों में केवल एक साल का अंतर है परन्तु देखने से पता नहीं चलता अमूमन लोग उन्हें जुड़वां ही समझते हैं तनवी ग्रेजुएशन कर चुकी है जबकि तान्या फाइनल इयर में है देखने में दोनों बहने गोरी, छरहरी काया की और बहुत ही खुबसूरत हैं दोनों का ही सपना ग्रेजुएशन पूरा करने के साथ साथ फोज में ऑफिसर के तोर पर भरती होना है पिता पहले बहुत अच्छी सरकारी नौकरी में थे पर नशे की लत के चलते अपनी नौकरी गवां बैठे अब इसे ही दिहाड़ी मजदूरी करते रहते हैं और जो कमाते है वो शराब में उड़ा देते हैं माँ ही सिलाई कड़ाई करके जेसे तेसे घर का खर्च चलती हैं तनवी और तान्या अपने कॉलेज की फीस और अपने अन्य खर्चों के लिए आस पास के दसवीं और बारवीं के बच्चों को tusion पढ़ती हैं इसके दो फायदे हो जाते हैं उनकी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तयारी हो जाती है और खर्चे के लिए अच्छे खासे पैसे मिल जाते हैं जिनसे वे कॉलेज की फीस, कॉलेज आने जाने का किराया और कुछ पैसे घर खर्च के लिए माँ को देदेते हैं उनके पिता इतने निर्लज हैं की कभी कभी शराब पिने के लिए पैसे न होने पर अपनी बेटियों के कॉलेज बैग से भी पैसे चोरी कर लिया करते हैं दोनों बहिनों का आपस में बहुत प्यार था पर जब बात पढाई की या प्रियोगिता परीक्षा की होती थी .तो एक दुसरे के पक्के प्रित्द्वंदी थे उनकी कठिन महनत लगन और निरंतरता को देख लगता है की वो दोनों अपने लक्ष्य हासिल बहुत जल्दी ही कर लेंगी दोनों ने बचपन से जीवन के कठिन अनुभवों को बहुत अच्छे से अनुभव कर लिया था और इसमें उनके पिता का सबसे बड़ा योगदान था उनकी माँ तृष्णा जो की बहुत पढ़ी लिखी तो नहीं थी परन्तु बहुत ही समझदार महिला थी वो केसे भी करके कुछ पैसे हर महीने बुरे समय के लिए बचा कर रख लेती थी और अपने पति को पता न चले इसलिए उन्हें पूजा स्थान में छुपा दिया करती थी एसा नहीं था की उनके पिता केवल घर से पैसे ही चोरी किया करते थे बल्कि शराब पी कर जहाँ तहां पड़े रहते थे और फिर उन्हें उनको उठा कर घर तक लाना पड़ता था माँ तो अपने आप को बहुत ही अभागा समझती थी परन्तु अपनी प्यारी सी बच्चियों को कास्ट झेलते देखती थी तो बहतु रोति थीं दोनों बहिने भी जब अकेले होतीं थी तो पिता को लेकर बहुत परेसान रहती थी दी कितना अच्छा होता न अगर पापा शराब पीना छोड़ दें तान्या ने कहा हम्म बोल तो तू सही रही है पर काश एसा हो सकता, यदि एसा हो जाता तो हमे दुःख ही नहीं होते सरे दुखोन का कारण ही पापा का शराब पीना है तन्वी ने बोला सही कहा दी तूने यदि पापा शराब न पीते तो हम भी tusion नहीं पढ़ा रहे होते और दोतों की तरह मजे कर रहे होते घुमने जाते अच्छे कपडे पहनते तानवी ने बोला तान्या छोड़ एसी बातें सोचना क्यूंकि यह शायद हमारे इस जन्म में तो संभव ही नहीं हमे तो पैदा ही शायद माँ के साथ दुःख सहने के लिए हुए हैं तानवी ने बोला दी मै तो इसी जन्म में सब कुछ बदल कर रहूंगी मुझसे नहीं देखा जाता माँ का दुःख तान्या ने कहा चाहती तो मै भी हूँ पर मेरी छोटी बहन बातों से पेट नहीं भरता उसके लिए महनत करनी होती है देखते हैं हमारे भाग्य में क्या लिखा है तानवी ने बोला सभी लोग उसके पिता को शराबी, निक्कमा, बेशर्म निर्लज आवारा और न जाने किन किन नामों से अलंकृत करते थे परन्तु उन दोनों बहिनों के कठिन प्रयोंसों, महनत और आत्म बल को देख उनकी बड़ी प्रशंसा किया करते थे वे बोलते थे तृष्णा की बेटियां एक दिन उसका ही नहीं बल्कि हमारे पुरे जनपद का नाम देश में रोशन करेंगी सभी जानते थे की वे पढ़ें लिखने में बहुत होसियार हैं इसलिए दूर दूर से बच्चे उनके पास पढ़े आते थे और इससे से तनवी और तान्या को बहुत होसला मिलता था एक दिन की बात है जब दोनों बहिने रविवार को अपनी सी०डी ०एस की परीक्षा से घर जा रही थी तभी एक मन चले लड़के ने उन्हें परेसान करने के इरादे से बहुत तेजी से motercycle उनके बगल से निकलते हुए ले गया और एक बहुत जोर का प्रेशर हॉर्न बजाय तान्या एकदम उस आवाज को सुन चोंक गयी और अपना संतुलन खो सड़क में गिर गयी वह सड़क बहुत व्यस्त थी तान्या को बचने के लिए तनवी भी उसकी और तेजी से बड़ी परन्तु तब तक पीछे आ रही एक कार से उन दोनों बहिनों को टक्कर मार दी आस पास के लोगों ने दोनों बहिनों को तुरंत उठा उसी कार से हॉस्पिटल पहुँचाया और उन्हें भरती करवाया उनके पास मिले प्रवेश पत्र में घर के एड्रेस पर मेसेज पहुंचवाया की उनकी बेटिय

12m
Jan 05, 2021
अरविंदो और तपन जो की कोलकत्ता के रहने वाले हैं डिस्कवरी चैनल पर एक documentery फिल्म देखि थी

अरविंदो और तपन अभी अभी वान पहुंचे हैं वान रूपकुंड और बैदनी बुग्याल तक जाने के लिए गाड़ियों का अंतिम पड़ाव है इसके आगे सड़क नहीं है पैदल ही जाना होता है हाल ही में अरविंदो और तपन जो की कोल्कता के रहने वाले हैं डिस्कवरी चैनल पर एक documentery फिल्म देखि थी वह documentery रूपकुंड में स्तिथ हिम झील में पड़े हजारों साल पुराने 500 से भी अधिक नर कंकालों के बारे में थी यह झील लगभग ५०३० मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है कंकालों के कार्बन डेटिंग से पता चला है की ये १२वी से १५वी सदी के बीच के हैं अरविंदो और तपन दोनों गहरे मित्र तो हैं ही परन्तु दोनों कोलकत्त यूनिवर्सिटी में Archaeology डिपार्टमेंट में पीएचडी के शोध छात्र भी हैं अरविंदो और तपन सामाजिक कार्यों से भी जुड़े हुए हैं वो अनाथ गरीब और बेसहारा लोगों के लिए भी काम भी करते हैं अब तक लग भाग ३०० से भी ज्यादा लोगों की आर्थिक और सामाजिक रूप में मदद कर चुके हैं रूपकुंड उत्तराखंड के एक पहाड़ी जिले चमोली के देवल ब्लाक में स्तिथ है दोनों दोस्तों ने रूपकुंड और बैदनी बुग्याल घूमने का प्लान बनाया है और ट्रैकिंग गाइड के लिए हर्शपाल सिंह रावत से फ़ोन पर ही बात कर ली है हर्षपाल एक स्थानीय गाइड है और और वहां घूमने आने वाले लोगों को नेचर ट्रैकिंग पर लेजाता है आज यहीं आराम करने के बाद वे लोग कल १० बजे ट्रैकिंग शुरू करेंगे वे भी बहुत थके हुए हैं कोलकत्ता से वान पहुँचने में उन्हें लगभग 15 घंटे लगे पहले हवाई जहाज से देहरादून और फिर टैक्सी से वाँन लेटते ही दोनों को गहरी नींद आगई और उनकी नीद तब खुली जब 9 बजे होटल के वेटर ने उन्हें चाय देने के लिए उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया हालाँकि उन्होंने चाय का आर्डर नहीं दिया था पर हर्ष पाल ने वह चाय भिजवाई थी क्यूंकि वो जनता था की वे बहुत थके हुए थे और अपने आप नहीं उठने वाले और उन्हें अभी नहीं उठायागया तो ट्रैकिंग पर जाने के लिए देर हो जायेगी दोनों ने चाय पी और जल्दी से तैयार हो गए तब तक हर्ष पाल ने सभी तय्यारी कर ली थी निकलते निकलते लगभग 10.30 बज गए थे यहाँ से कुछ दूर तक तो रास्ता आसान था पर उसके बाद लगभग दिन भर खड़ी चढ़ाई करनी होगी अभी वे थोडे आगे ही चले होंगे तो उन्हें बर्फ से ढके बहुत ही सुन्दर पहाड़ दिखाई दिए उन्होंने ट्रैकिंग तो बहुत की थी पर एसा नजारा पहली बार देख रहे थे चरों और देवदार के बहुत ही सुन्दर जंगल दिखाई दे रहे थे और जंगलों से उपर हरी घास की मखमली चादर बिछी दिख रही थी और उस से ऊपर बर्फ के पहाड़ उन्हें बड़ा अच्छा लग रहा था रस्ते में उन्हें हर्ष पाल ने कुछ जगली फल भी खिलाये ट्रैकिंग के समय उन्होंने इतने सुन्दर द्रश्य देखे की वे अपने आप को फोटो खींचने से नहीं रोक पाए रस्ते के एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ हजारों फीट गहरी खाई थी अरविंदो और तपन ने खाई की तलहटी को देखने का प्रयास किया तो डर के मरे कलेजा मूह को आगया अरिविन्दो ने तब तपन को बोला तपन इस खाई की गहराई इंतनी है की यही कोई गिर जाये तो शायद तलहटी तक पहुँचने में ही १० मिनट लग जाएँगे लगभग 2 घंटे की चढ़ाई के बाद भी वे विश्राम करने की जगह नहीं पहुँच पाए थे की अँधेरा हो गया था अधिक ऊंचाई ऑक्सीजन की कमी अत्यधिक ठण्ड और थकान की वजह से वे बहुत धीरे चल पाए थे तभी हर्शपाल ने बोला दादा जल्दी मौसम अच्छा नहीं है अरबिंदो बोला हर्शपाल तुम तो हा साथ फिर हमको किसका डर और वेसे भी हम तो बहुत ट्रैकिंग कर चुके हैं हर्ष पाल भी चिंतित थे क्यूंकि कोहरे, अँधेरे और फुहार की तरह बारिश भी होनी शुरू हो गयी थी रास्त शंकरा फिसलन भरा और बहुत ही उबड़ खाबड़ था हर्ष पाल अचानक रुके और उन्हें कुछ बोलने ही वाले थे की लैंड स्लाइड हो गयी अरविंदो और तपन दोनों उस गहरी खाई की तरफ मलबे के साथ फिशल गए जब लैंड स्लाइड हुवा तो चरों और घुप्प अन्दर और पत्थरों का इतना शोर हुवा की वे एकदूसरे को न तो कुछ बोल पाए और न ही किसी की कोइ आवाज सुनाई दी क्यूंकि यह स्थान अधिकतर समय बर्फ से ढाका रहता है तो पहाड़ पर घास और पेड़ नाम मात्र के लिए होते है यही कारण है की लैंड स्लाइड में बहुत बड़ी चट्टानें और पत्थर मट्टी बारिश के कारण पहाड़ से अचानक नीचे खिसक जाती हैं अरविंदो अपने आप को भाग्य शाली समझ रहा था की वह इतनी बड़ी बड़ी चट्टानों और मलबे की चपेट में नहीं आये और अभी तक जीवित है और कुछ मामूली

12m
Dec 31, 2020
सोफिया ने जो एड्रेस दिया वह एक हॉस्पिटल के प्राइवेट वार्ड का था कमरा नंबर 5 सोफिया ने बड़ी आशा

मेरा नाम केशव है मै एक बहुत ही जनि मानी इवेंट कम्पनी में disguise यानि बहरूपिये का काम करता हूँ पूरे साल भर मै कुछ न कुछ बनता रहता हूँ कभी श्री कृष्ण कभी श्री गणेश कभी श्री राम, कभी शिव शंकर कभी हनुमान और दिसम्बर के माह में संताक्लास हालाँकि मेरे सरे ही रूप लोगों को बहुत अच्छे लगते हैं पर मुझे सबसे अधिक पहचान मेरे संताक्लास के रूप ने दिलाई है सब मुझे केशव संताक्लास के नाम से जानते हैं और बच्चों में भी मै इसी नाम से फेमस हूँ न जाने केसे संताक्लास के रूप में मेरी परफॉरमेंस और लोकप्रियता बहुत है उसका दूसरा कारन यह भी है की श्री कृष्णा श्री गणेश श्री राम हनुमान और शिव का रूप तो और भी बहुत लोग रखते हैं है पर संताक्लास का रूप बहुत कम लोग रखते हैं और यही वजह है की मेरी सबसे ज्यादा मांग भी दिसम्बर के माह में होती है इधर दिसम्बर शुरू हुवा और साथ ही शुरू होता है मेरा बहुत ही व्यस्त रहने का काम मेरी दिसम्बर की संताक्लास के रूप की बुकिंग तो मई जून में ही शुरू हो जाती है सुभ 11 बजे से शाम 7 बजे तक तो मै संताक्लास बनकर सहर के सबसे बड़े माल में रहता हूँ वहां बहुत सारे बच्चे मुझे मिलने आते हैं इससे दो तीन डायरेक्ट फायदे होते हैं मॉल में भीड़ बड जाती है वहां जश्न का माहोल बन जाता है माल की दुकानों में जम कर खरीदारी होती है और मैं अलग अलग जगह जा कर इतने बच्चो से नहीं मिल सकता जितने बच्चे मुझसे यहाँ आ कर मिलते हैं कुछ कंपनी अपनी तरफ से गिफ्ट स्पोंसर करती है और वाही गिफ्ट मुझे उन बच्चों को देने में बहुत मजा आता हैं बच्चों को उनके गिफ्ट मिल जाते हैं और मै बच्चों के दिल में हमेसा के लिए जगह बना लेता हूँ बच्चों में फेमस होने का एक कारन यह भी है की मै बच्चों से बहुत प्यार करता हूँ और बच्चे मुझे बहुत प्यारे करते हैं एक बार की बात है यह दिसम्बर का ही महिना था और हर साल की तरह मै मै संताक्लास बन सहर के उस बड़े मॉल में सुभ 11 बजे से शाम 7 बजे तक बच्चों के साथ बिजी था तभी एक महिला जिसका नाम सोफिया था मेरे पास आई उसने मुझे बताया की उसकी बेटी समानथा जो अभी केवल 6 साल की है बहुत बीमार है और शायद वह यह क्रिसमस भी नहीं देख पाए समानथा की इच्छा है की वह केवल केसव संताक्लास से ही मिलना चाहती है मै आजकल बहुत बिजी हूँ सुभह से लेकर शाम तक तो मॉल में रहता हूँ और फिर उसके बाद अपनी कम्पनी के द्वारे मुझे अलग अलग पार्टी में भेजा जाता है जिसकी वजह से में देर रात को ही फ्री हो पता हूँ क्या आप किसी और संताक्लास को आमंत्रित नहीं कर सकती मैंने सोफिया से आग्रह किया सोफिया बोली मेरी बेटी को केवल केसव संताक्लास से ही मिलना है उसे एसा विश्वास है की आप ही उसे ठीक कर सकते हो डॉ के अनुसार वह अब ज्यादा दिन की महमान नहीं है और एक माँ होने के नाते में उसकी यह इच्छा भी पूरी नहीं कर पा रही हूँ बताते बताते वह जोर से रोने लगी और वहीँ जमीन पर निढाल होकर बैठ गयी मुझे बहुत बुरा लग रहा था मै बहुत व्यस्त था और समय निकलना बहुत मुस्किल था फिर भी उस माँ की विवशता देख मैने उन्हें बोला की किसी भी दिन समय निकल कर मै आपकी बेटी से मिलने जरूर आऊंगा कृपया आप अपना एड्रेस मुहे दे दीजिये सोफिया ने जो एड्रेस दिया वह एक हॉस्पिटल के प्राइवेट वार्ड का था कमरा नंबर 5 सोफिया ने बड़ी आशा के साथ मुझसे अपनी बेटी को मिलने के लिए promish करवाया था इसलिए मेरे दिमाग में हमेसा शोफिया को किया गया promish बार बार याद आता रहता था एक दिन मॉल में काम ख़त्म कर मुझे एक पार्टी में जाना था जब मै वहां पहुंचा तो मुझे पता चला की वह पार्टी 2 घंटे के लिए पोस्टपोन की गई है जो अब 8 बजे के बजाय 10 बजे शुर होनी थी तभी मुझे शोपिया और उसकी बेटी का ध्यान आया क्यूंकि वह हॉस्पिटल उस जगह से मात्र 20 मिनट की पैदल दूरी पर था मै तुरंत उस होस्पिटल के और चल दिया दिन भर के काम के बाद थकन के चलते मुझे वहां पहुंचने में 30 मिनट लगे ठण्ड भी बहुत थी मै हॉस्पिटल के रिसेप्शन पर पहुंचा और मैंने रिसेप्शन से पता किया की वह प्राइवेट वार्ड का कमरा नंबर 5 कहाँ स्तिथ है उन्होंने मुझे बताया कि वह उस हॉस्पिटल की सातवीं मंजिल पर स्तिथ है मैंने लिफ्ट ली और तुरंत सातवीं मंजिल के कमरा नंबर 5 के बहार पहुँच गया मैंने अपनी संताक्लास की constume पहनी और दरवाजे को नॉक किया कसी बूढी महिला ने दरवाज खोला वो शायद समंथा की नानी थी मै जब अन्दर पहुंचा तो देखा की वहां का माहोल बहुत ही शांत और ग़मगीन था वहां लगभग 8 से 9 लोग थे और बिस्त

10m
Dec 24, 2020
कालेज की बहुत सारी लड़कियां भी उसपर मरती थी कॉलेज में उसकी बहुत ही सुन्दर एक गर्लफ्रेंड भी थ

भय्या मेरा आज किसी भी चीज का मन नहीं आशीष ने बोला और उठ कर जाने लगा तभी बाबूसाहब ने पुछा क्या हुवा आज क्यूँ इतना नाराज है बाबुसहब ongc में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं औ यह मुकाम उन्होंने छोटी सी उम्र में ही हासिल कर लिया उनकी उम्र अभी मात्र 29 साल ही है और वे प्रत्येक इतवार को अपने अधीन कार्य कर रहे कर्मचारियों के बच्चे को जो कॉलेज में हैं या फिर कॉलेज में जाने वाले हैं के लिए निशुल्क करियर गौइदेंस और tusion पढ़ते हैं आज अभी करियर कोउन्क्लिंग के लिए वे क्लास शुरू ही करने वाले थे की आशीष जो अभी कॉलेज में पड़ता है मूड बहुत ख़राब होने की वजह से क्लास छोड़ कर जा रह है तभी बाबूसाहब ने बोला आशीष ठहरो आज तो मै तुम सब को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ चले जाना पर कहानी सुन कर जाओ यह कहानी है एक लड़के रूद्र की रूद्र के पिता सरकारी नौकरी करते हैं वे एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है रूद्र अपने माँ बाप और छोटी बहन के साथ सरकारी कालोनी में ही रहता है बहन 10 में पढ़ती है और रूद्र ने अभी १२ पास कर कॉलेज में दाखिला लिया है रूद्र की माँ और पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं परन्तु रूद्र के पिता ने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी परन्तु रूद्र के विचार कुछ और थे उसके दिल में यह कुंठा थी की उसके पिता चुतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है और उसका वह रुतबा नहीं है जो कालोनी में रह रहे और बच्चों का है यही कारन रहा की बच्चपन से लेकर आज तक कालोनी के वे बच्चे रूद्र को अपने साथ न तो खेलने के लिए बुलाते थे बल्कि कभी गलती से एसा हो भी जाता था तो उसे तुच्छ मानते थे यही वजह थी की रूद्र को लगता था की उसके पिता के द्वारा मिली उसकी पहचान उसके लिए हमेसा सार्वजानिक बदनामी और अपमान लेकर आई है वह अपने पिता से कभी भी सीधे मूह बात नहीं किया करता अपने माँ बाप को अक्ल में अपने से कम समझता थ और सोचता था की उसके माँ और बाप कभी भी उसे समझ नहीं सकते यही वजह थी जब वह कॉलेज गया तो वहां कॉलेज के छात्रों से यह बात छुपाने की कोशिस करता था की वह कोन है और कहाँ रहता है वह अपने आप को अच्छा दिखने के लिए महंगे कपड़ों जूतों और मोबाइल पर अधिक ध्यान देता था जब भी माँ या पिता बोलते थे की पढाई करले और इन फालतू की चीजों में पैसा और समय व्यर्थ न करो तो वह बोलता था की आप लोग कभी कॉलेज भी गए हो मुझे मत समझाओ कब पड़ना है मै करलूँगा बारवीं में कोनसा आप लोंगोने ने पढाया था मेने तो तभ भी 85 % अंक प्राप्त किये थे माँ और पिता मन मशोस कर रह जाते थे पर उनके पास उसको समझाने का कोई उपाय भी तो नहीं था एक बात तो थी देखने में रूद्र किसी हीरो की तरह लगता था गोरा लम्बा और सुन्दर अपने कोलेज के स्मार्ट और सुन्दर लड़कों में से वह भी एक था कालेज की बहुत सारी लड़कियां भी उसपर मरती थी कॉलेज में उसकी बहुत ही सुन्दर एक गर्लफ्रेंड भी थी नीतिशाह रूद्र को उसके साथ समय बिताना और साथ रहना बहुत अच्छा लगता था इसके चलते वह अधिकतर समय अपनी कॉलेज की क्लास बंक करके उसके साथ समय बिताता था नीतिशाह को भी उसके साथ रहना बात करना बहुत पसंद था परन्तु उसकी एक बात अच्छी थी कि वह कभी भी अपने क्लास बंक नहीं करती थी कुछ ही महीनो में वे दोनों पूरे कॉलेज में फेमस हो गये थे उनकी दोस्ती और प्यार की सब मिसाल देने लगे थे और हर और उनकी ही चर्चा होती थी कॉलेज का प्रथम वर्ष केसे बीता पता ही नहीं चला परीक्षा हुई नीतिशाह पास और रूद्र फ़ैल हो गया रूद्र जो की अपने माता पिता का गर्व था जिसने १२वीन में 85% अंक प्राप्त किये थे प्रथम वर्ष में फेल हो गया था फेल होने की वजह से रूद्र बहुत ही शर्मिंदा और अपमानित महशूस करने लगा था और तो और नीतिशाह ने भी उससे मिलना और यहं तक की उसके messges का जवाब देना छोड़ दिया था उसे इतनी शर्म महसूस होने लगी की उसने कॉलेज जाना छोड़ दिया उसने कभी भी अपने माता पिता की बातों पर ध्यान नहीं दिया था और जब भी वे रूद्र को समझाना चाहते थे तब उसने अपने माता पिता को कम अक्ल समझा था रूद्र अपनी ही करनी और परिस्तिथि से टूट गया उसे लगा अब जीवन में वह कुछ नहीं कर सकता और लोग उसका मजाक बनायेंगे धीरे धीरे वह डिप्रेशन में चला गया वह अपने कमरे में ही रहता और किसी से कोई बात नहीं करता उसे हर समय किसी न किसी बात की चिंता होती थी उसे एक अंजना सा भय लगा रहता था वह हमेसा उदास और अपराधबोध से घिरा

11m
Dec 17, 2020
तभी माही ने देखा उसके कमरे में एक सुदर सा दिखाई देने वाला गठीला पहाड़ी लड़का अन्दर

माही हिमाचल के पालमपुर के नजदीक एक गाँव में रहती है वह देखने में बहुत खूबसूरत है वह किसी फिल्म की अभिनेत्री की तरह लगती है परन्तु वह बहुत ही शर्मीली और कम बात करने वाली वह भी और लड़कियों की ही तरह अभी और पढना और अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है माही के घर में दादा दादी और पिता है माँ का स्वर्गवास हो गया था जब माही १२ साल की थी तब से दादी ने ही माँ की तरह पला है पिता खेती करते हैं और समय मिलने पर पड़ोस के सेव के बगीचे में काम पर जाते हैं दादा घर पर ही रहते हैं और चाहते हैं की उसके लिए अच्छा सा लड़का ढून्ढ जल्द से जल्द उसकी शादी कर दें पर माहि अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की पक्षधर है और वेसे भी शादी अभी उसकी प्रायोरिटी में नहीं है माहि का सपना आईपीएस बन्ने का है उसने उसके सम्बन्ध में सारी जानकारी एकत्रित कर ली है और और उसके लिए तयारी भी करनी शुरू कर दी है एक दिन की बात है जब सभी को एक रिश्तेदार की शादी में पालमपुर बाजार जाना था माही बहुत खुश थी क्यूंकि आज वह शादी में अपने सभी चेरी ममेरी और फुफेरी बहनों से मिलने वाली थी और वे सब मिलकर शादी का आनंद लेने वाले थे वे सभी डांस करने वाले थे और विडियो रिकॉर्डिंग के साथ साथ सेल्फी भी लेने वाले थे माहि अभी यह सोच सोच कर बहुत खुश हो रही थी की तभी गाड़ी का एक टायर निकल गया और गाड़ी अनियंत्रि हो कर एक गहरे खड्डे में गिर गयी चारो और चीख पुकार मच गयी उस दिन उस टैक्सी में १२ लोग थे ड्राईवर और माहि को छोड़ कोई भी नहीं बच पाया था गाड़ी में माहि के पिता और दादा भी थे शोभाग्य से माहि के घर पर एक गाय थी जो दूध देती थी उसकी देखभाल के चलते दादी नहीं आई थी इसलिए दादी बच गयी थी माहि के हाथ और पैर में गंभीर चोट थी उसके सीधे हाथ और पैर में फ्राक्चर था माहि को डॉक्टर ने लगभग 2 महीने तक बएड रेस्ट की सलाह दी थी और उसे बताया था की वह जीवन में अब दौड़ भाग नहीं कर पाएगी माहि बहुत रोई क्यूंकि एक तो घर में अब कमाने वाला कोई नहीं बचा था और डॉक्टर ने भी ऊसके फिसिकल फिट होने पर प्रश्न चिन्न लगा दिए थे जो की उसके आईपीएस बन्ने में सबसे बड़ा रोड़ा बन गए थे माही का अधिकतर समय अकेले में रोने में और अपने भाग्य को कोसने में जाने लगा गोरी और सुन्दर अभ्निनेत्री की तरह दिखने वाली माहि अब किसी कुपोषित और कुरूप लड़की की तरह दिखने लगी थी माही की आँखों के नीचे काले घेरे हो गए थे उसका वजन घट कर बहुत कम हो गया था एसा लगता था की शायद दादी से पहले ही मही इस दुनिया को अलविदा कह देगी डॉक्टर ने तो दो माह में उसके ठीक होने की बात की थी पर अब तो तीन माह हो गए थे और माही की हालत में कोई सुधर नहीं था माही बहुत मायूस और जीने की चाह छोड़ चुकी थी और उसकी जीने की शायद कोई इच्छा ही नहीं थी वह अधिकतर समय अपने माँ और पिता को याद करती रहती थी और उनके पास जाने की बात करती रहती थी दादी के पास भी कोई उपाय नहीं था की केसे अपनी पोती को फिर से हँसता खेलता देख पाए दादी जो पहले उसकी शादी के सपने देखती थी अब चाहती थी की किसी भी तरह से वह ठीक हो जाय चाहे उसके लिए प्रभु उसका जीवन ले लें एक दिन मही जब उठ कर कमरे से बहार आई तो देखा दादी अचेत पड़ी है वह दादी के पास पहुंची माही बहुत घबरा गयी थी शायद दादी भी उसे छोड़ गायी थी उसने पास ही पड़ी पानी के बाल्टी से दादी के चेहरे पर थोड पानी के छींटे मारे उसे थोडी शांति मिली जब दादी होश में आई माही को सोच सोच कर दादी भी परेशानी के कारन मुर्छित हो गयी थी उसी दिन की बात है जब माही अपने कमरे में लेटी हुयी थी तब उसे किसी के बोलने की आवाज सुनी यह पड़ोस में रहने वाले घर से आ रही थी यह रेडियो पर कोई कार्यक्रम था वह कोई प्रेरणादायक कार्यक्रम था उसमे उसदिन किसी महिला आईपीएस का इंटरव्यू था उस रेडियो कार्यक्रम की आवाज बहुत साफ़ सुनाई दे रही थी उसने उस कहानी को धयान से सुना वह कहानी उत्तराखंड की पहली महिला DGP कंचन चौधरी भट्टाचार्य की थी वह किरण बेदी के बाद भारती की दूसरी इस औधे पर पहुँचने वाली महिला थी उसने सुना की कंचन चौधरी भी हिमाचल में पैदा हुई थी वह भी हिमाचल की बेटी थी और उन्होंने भी अपने जीवन में बहुत संघर्ष देखे थे जिसमे उन्होंने बताया था की जीवन में परेशानियाँ तो अति रहती हैं पर इस जीवन में विजय औ

8m
Dec 13, 2020
क्या काव्य सुरक्षित है क्या उस रिज़र्व फारेस्ट में आज रात वह सुरक्षित रह पाएगा कहीं कोई ज

एक बार की बात है की काव्य अपने दोस्तों के साथ सुभ सुभ मोर्निंग वाक पर गया हुवा था बहार ठण्ड थी और हल्का कोहरा लगा हुवा था महिना भी तो जनवरी का था सभी दोस्त एक ही सोसाइटी में रहते हैं वे जॉगिंग करते हुए जाते थे और लगभग 2 किलोमीटर के बाद वापस वाक करते हुए आते थे एक दिन जब वे जॉगिंग करते हुए जा रहे थे तो उन्होंने देखा सड़क के बीच में कुछ पड़ा हुवा है उजाला अभी होना बाकि था तो साफ़ साफ़ नहीं दिख रहा था जिस सड़क पर वो जॉगिंग करते हैं वहां शायद ही कभी कोई गाडी आती थी इसलिए उस इलाके के सभी लोग मोर्निंग वाक और जॉगिंग के लिए उसी पर जाते हैं जब दोड़ते हुए पास पहुंचे तो देखा एक कुत्ता है उन्होंने बहुत गौर नहीं किया और आगे बढ़ गए जब वे वापस वाक करते हुए आये तब तक उजाला हो गया था तो उन्होंने देखा वह एक कुत्ता था पर उस द्रश्य को देख काव्य का दिल असीम वेदना दुःख और दया से भर गया उसने देखा वह मारा हुवा था और उसका एक छोटा सा puppy ठण्ड में कांपते हुए उसके साथ ही उसे लिपटे हुए उसका दूध पीने की कोशिश कर रहा था शायद वह उसकी माँ थी रात को किसी गाडी ने उसे कुचल दिया वह सही से चल भी नहीं पा रहा था उसकी आँखें भी बंद थी शायद एक्सीडेंट के बाद ही उसका जन्म हुवा था और अपने सभी भाई बहनों में वह ही जिन्दा बच पाया था यह द्रश्य देखा तो हजारों लोगों ने था और काव्य के दोस्तों ने भी पर न जाने काव्य पर उस द्रश्य ने ज्यादा प्रभाव छोड़ा था उसका दिल और दिमाग में बस यही चल रहा था की अब इस बेचारे puppy का क्या होगा वो तो बहुत छोटा था यह सोचते हुए वह अभी आगे ही बढ़ था की अचानक अपने दोस्तों को बिना कुछ कहे पीछे मुड़ा और उस नन्हे से puppy को उठा लाया वह puppy देखने में बहुत सुन्दर और प्यारा था शायद ही कोई एसा हो जो उसे देख उसे अपनी गोद में पकड़ना और उस पर हाथ फेरना न चाहता हो काव्य ने उसका नाम viber रक्खा काव्य के घर में उसकी माँ छोटी बहन ही है पिता फोज में हैं और नेफा में पोस्टेड हैं उनकी ट्रान्सफर अभी हाल में ही हुई है काव्य ने viber के रहने के लिए बहुत सुन्दर सा सॉफ्ट टॉय वाला घर खरीदा है चाहे बच्चे इन्सान के हों जानवरों के या पेड़ पोधों के पाले तो प्यार और नाजुकता से ही जाते हैं काव्य भी उसे इन्सान के छोटे बच्चे की ही तरह पाल रहा है उसके लिए छोटे बच्चे को दिया जाने वाला सेरेलैक और दूध खरीद लाया है viber भी उसे खाने में बड़ा खुश रहता है जेसे ही उसे दूध और सेरेलैक की खुशबु आती वह उच्चल कूद मचा देता उस समय वह किसी उद्दंड बच्चे की तरह ही हरकत करता और कोई भी कहना नहीं मानता आखिर था तो वह भी एक छोटा बच्चा जैसे जैसे viber बड़ा होने लगा सबका प्यार उसके प्रति और बढने लगा काव्य उसका इतना ध्यान रखता था की viber देखने में किसी भी विदेशी नश्ल के कुत्ते को भी मात दे दे viber केवल नाम विदेशी था पर वह था पूरा हिन्दुस्तानी नस्ल का जब हम देशी नस्ल के कुत्तों को पालते है उन्हें हम उन्हें वेसे नहीं पलते जेसे विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालते हैं यही कारण है की विदेशी नस्लों के कुत्ते जायद सुन्दर और अच्छे दीखते हैं क्यूंकि काव्य ने viber का ध्यान बिलकुल वेसे ही रखा था जैसे विदेसी नस्ल के कुत्तों को पलने के लिए किया जाता था समय पर उसका vaccination, deworming और उसके बालों की grooming. लगभग १० महीनो में ही viber आम कुत्तों से देखने में भी बहुत बड़ा शानदार और शालीन कुत्ते में विकसित हो गया था viber की आँखों में अलग सी चमक थी और जो भी उसे देखता था मत्र्मुग्द हो जाता था वह बहुत ही शानदार दिखाई देता था उसे काव्य ने हर तरह की कमांड सिखाई थी अब परिवार में चार सदस्य थे काव्य उसकी माँ बहन और viber viber इतना स्म्वादेंसील था की घर के दरवाज पर किसी के पहुँचने और डोर बेल बजने से पहले ही भौंक कर सबको आगाह कर देता था उसकी अपने और पराये कोन हैं पहचानने की अद्भुद छमता थी उसके रहते शायद ही किसी की मजाल हो की कोई घर में बिना बताये घुस जाये या फिर कुछ छु भी ले viber यूँ तो प्यार घर के सभी सदस्यों से करता था पर काव्य से उसका सम्बन्ध कुछ ज्यादा ही घनिष्ट था वह बिना काव्य के खाना नहीं खता था उसके साथ मोर्निग वाक पर जाता था और जब काव्य अपने कॉलेज जाता था तो भी उसके साथ जाने की कोशिश कर

12m
Dec 10, 2020
ये कहानी है उत्तराखंड के टिहरी के शहर की पुराना टिहरी शहर तो टेहरी डैम के लिए भेंट चढ़

ये कहानी है उत्तराखंड के टेहरी के शहर की पुराना टेहरी शहर तो टेहरी डैम के लिए भेंट चढ़ चूका था और नया सहर अभी पूर्ण विकसित नहीं हो पाया था हालाँकि देखने में नया टेहरी सहर बहुत सुन्दर बसाया गया है सहर के पास के गाँव में निक्किता नाम की छोटी लड़की रहती है गाँव क्या कहेंगे अब तो वह भी टेहरी सहर ही हो गया है क्यूंकि अब नया सरकारी हॉस्पिटल यहीं शिफ्ट हो गया है और उसके चलते तमाम दवाई से लेकर खाने पीने की सभी दुकाने भी यहाँ बन गयी हैं निक्कू अभी 4.5 साल की है प्यार से माँ बाप निक्किता को निक्कू ही बुलाते हैं निक्कू बोलती बहुत है शब्द सीखने और उन्हें यद् रखने की गजब की छमता उसमे है वह अपने माता पिता और 6 साल के अपने भाई विभु के साथ यहाँ रहती है पिता पास के ही होटल में ही काम करते हैं माँ सिलाई कड़ाई का काम करती है विभु कुछ महीनो से और अधिक बीमार है और उसकी बीमारी बढती ही जा रही है लगातार पिछले 1 साल से उसका इलाज चल रहा है उसके माँ बाप जो भी कमाते हैं विभु के इलाज में लगा देते हैं सरकारी से लेकर प्राइवेट सभी हॉस्पिटल में वे उसको दिखा चुके हैं और डॉक्टर्स ने उसके इलाज के लिए ऑपरेशन ही एक मात्र उपाय बताया है परन्तु वह ऑपरेशन भी यहाँ नहीं देहरादून के एक बड़े निजी हॉस्पिटल में ही हो सकता था और उसमे खर्चा बहुत होने वाला था और इतने पैसे उसके माँ बाप के पास नहीं हैं एक दिन की बात है निक्कू के माँ बाप आपस में बात कर रहे थे की हमने आज तक जो भी कमाया वह अपने बेटे के इलाज में लगा दिया है और अब डॉक्टर्स बोल रहे है की ऑपरेशन किये बिना केवल चमत्कार ही उसे बचा सकता है दीपू की माँ रो रही है और अपने पति से बोल रही है केसे भी करके मेरे बेटे को बचा लो मै अपने बेटे के बिना जी नहीं पाऊँगी मै भी मर जाउंगी हे भगवन मेरे बेटे की जगह मुझे उठा ले माँ का विलाप देख पिता भी बहुत दुखी हो रहे थे और अपने बेटे को निहारते हुए उनके आँखों में भी आंसू आ रहे थे पर बाप हैं न इस लिए पूरी हिम्मत करके आंसुओं को समेट रहे हैं और छुपाने की कोशिस कर रहे हैं अभी लगभग सुबह के 8 बज रहे हैं निक्कू के पिता इतने निराश हैं की आज उनका भी काम पर जाने का मन नहीं और माँ का तो अपने बेटे को देख देख कर बुरा हाल है पिता अपने होटल मेनेजर से पहले ही इलाज के लिए काफी रकम एडवांस में ले चुके थे माँ ने भी अपने पुराने ग्राहकों से जो उनसे कपडे सिलवाने आते थे उनसे पैसे उधर ले रखे हैं जो शादी के जेवर थे वो पहले ही बेच चुके हैं निक्कू हालाँकि बहुत छोटी थी उसे भावनाएं व्यक्त करना नहीं आता था पर माँ बाप को देख कर वह भी चिन्ति थी और उसे लग रहा था की वह एसा क्या करे की उसके माँ बाप और भाई सभी खुश हो और उसका भाई ठीक हो जाये पता नहीं निक्कू के दिमाग में क्या आया व उठी और दुसरे कमरे में गयी वहां से अपने भाई की गुल्लक निकल ली माँ जब भाई को पैसे देती थी तब निक्कू भी अपने लिए पैसे मांग लेती थे वह पैसे वह भी भाई की गुल्लक में दाल देती थी उसने उस गुल्लक को खोला और मुठी भर कर चीलर पैसे हाथ में भर लिए उसके छोटे से हाथ में शायद 4 से 5 रूपये ही आये होंगे और वह घर से बाहा चल दी दीपू के माता पिता अपनी इस बहुत बड़ी मुसीबत का क्या समाधान हो सोच सोच कर दुखी हो रहे थे उन्हें निक्कू का कुछ भी ध्यान ही नाह रहा माँ तो बस रोये जा रही थी और विलाप कर रही थे और पति से बोल रही थी मेरे बेटे को केसे भी करके बचा लो इधर निक्कू घर से बहार आयी और एक केमिस्ट शॉप पर पहुंची और काउंटर पर पहुँच कर बोली अंकल मेरी बात सुनो वह केमिस्ट की दुकान घर से १०० मीटर के दूरी पर सरकारी बड़े हॉस्पिटल के पास ही थी वह इतनी छोटी थी की काउंटर तक नहीं पहुँच पा रही थी केमिस्ट पास ही खड़े एक व्यक्ति से बात कर रहा था निक्कू ने अपने हथेली से एक रूपये का सिक्का निकल कर जोर जोर से काउंटर पर मरना शुर किया क्यूंकि निक्कू नजर नहीं आ रही थी केमिस्ट और वह व्यक्ति जो आपस में बात कर रहे थे उस आवाज से डिस्टर्ब हो रहे थे केमिस्ट थोडा झल्लाया और बोला कोन है वहां भागो यहाँ से निक्कू के छोटे छोटे हाथ भी काउंटर पर बजा कर थक गाय थी वह भी उसी अंदाज में बोली देख नहीं सकते मैं इतनि देर से खट खता रही हूँ केमिस्ट ने नीचे झानक कर देखा एक छोटी सी बच्ची खाड़ी है बिना उसकी बात सुने केमिस्ट ने बोला बेटा हमारे यहाँ चोच्क्लेट नहीं मिलती और मै अपने भाई से बात कर रहा हूँ म

8m
Dec 05, 2020
डॉक्टर कमरे से बहार आये उन्होंने नंदा बल्लभ से कहा चिंता न करें आपके पिता अब बिलकुल ठीक हैं

डॉक्टर कमरे से बहार आये उन्होंने नंदा बल्लभ से कहा चिंता न करें आपके पिता अब बिलकुल ठीक हैं और मैं उनकी देखभाल अपने पिता की तरह करूँगा आप निश्चिंत रहिये नंदा बल्लभ बधाणी संस्कृतिक समिति जो की एक सामाजिक समिति है में पधाधिकारी है और यह समिति पहाड़ के संस्कृतिक धरोहर को संजोने और संगरक्षण पर कार्य करती है यह कहानी है एक पागल जिसका नाम रविंदर है वह कहाँ से आया कुछ नहीं पता परन्तु वह पिछले लगभग १० सालों से थराली में ही रह रहा है क्यूंकि उसका रहने खाने का कोइ प्रबंध नहीं है वह पागल है लोग तरस खा कर उसे झूठा, बासी और बचा हुवा खाना दे ही देते हैं और वह सड़क के किनारे बनी दुकानों के शेड या फिर टैक्सी स्टैंड पर रहता था थराली चमोली गढ़वाल की एक तहसील है थराली के कोटडीप में राजकीय इंटर कॉलेज है और साथ ही है हमारी बधाणी सांस्कृतिक समिति का ऑफिस अभी हाल ही में राजकीय इंटर कॉलेज की नई बिल्डिंग बन गयी है और पुरानी क्क्षाओं जो की मट्टी पत्थर और टिन शेड की बनी हैं को ऐसे ही छोड़ दिया गया है वेसे भी ये विद्यालय की प्रांगण से बहार हैं बधाणी सांस्कृतिक समिति अपने सांस्कृतिक कार्यक्रोम के अभ्यास के लिए इन में एक क्क्षा का प्रयोग करती है कहते हैं संगीत में बहुत ताकत होती है क्या पशु क्या पक्षी और फिर रविंदर था तो इन्सान है भले ही पागल हो वह भी संगीत सुनने वहां आ जाता था न जाने उसके विकृत मस्तिक के हिस्से में संगीत कैसा असर करता था की वह खुश हो कर झूम उठता था कई बार तो अभ्यास करने आये बच्चे जान बूज कर संगीत बजाते थे और उस पागल को नचाने का प्रयास करते थे और आनंद लेते थे क्यूंकि आजकल अभ्यास रोज ही हो रहे थे तो वह भी वहीँ खली पड़ी क्क्षा में रहने लगा जब वह बाजार में था तो वह खाने के लिए होटल पर निर्भर था अब वह समिति के भोजनालय पर निर्भर हो गया पर समिति में भोजन केवल दिन में और कभी कभी रात को भी बनाया जाता था नंदा बल्लभ जो समिति का ही पदाधिकारी है को रविंदर पर बहुत दया आती है इसलिए वह उसके खाने पीने का विशेष धयान रखता है नंदा बल्लभ ने संस्था के भोजनालय से रविंदर को एक पुरानी थाली और गिलास खाना खाने के लिए दे रखा है और अचरज की बात है की रविंदर केवल उसी की बात मानता है उसका नाम रविंदर ही है या कुछ और कोई नहीं जनता पर सब उसे रविंदर ही बुलाते हैं महीने में एक दिन तो नंदा उसे नहला ही देता था और उसे अपने घर से लाकर या किसे लेकर पुराने कपडे पहन ने के लिए दिया करता था और उसके उतारे हुए कपडे जला दिया करता था वह ही उसके बाल और दाड़ी भी बनवा दिया करता था दया तो रविंदर पर सब दिखाते थे पर वह दया केवल बातों तक ही सीमित थी थराली एक पहाड़ी जगह तो है ही और पिंडर नदी के किनारे बसा है सर्दियों में नदी की बहुत ही ठंडी हवा चलती और ठण्ड को कई अधिक बड़ा देती है बारिश और सर्दी में कभी कभी बर्फ भी वहां जीना मुस्किल कर देती है जिन लोगों के घर हैं वो तो आग जलाकर और दरवाज खिड़की बंद कर कर अपने को गर्म रखते हैं जबकि रविंदर बिना बिजली के घुप अँधेरे में मट्टी के सीलन भरी दीवारों के बीच केसे रहता है जब बरसात और बर्फ़बारी के दिन होते हैं तो ठण्ड तो बहुत होती ही है पर समिति का भोजनालय और कार्यालय भी बंद रहता है न जाने वो दिन बिना भोजन के वह केसे दिन बिताता है शायद आसपास और पड़ोस के लोगों से कुछ मांग लाता होगा या फिर लोग उसे वाही आकार दे जाते होंगे कड़ाके की ठण्ड में भी धुल से सनी गन्दी दाड़ी मूछों के बीच मैंने हमेसा उसके होटों पर एक मुस्कराहट ही देखी कुल मिलकर यदि बात की जाये तो वह थराली में अकेले ही था और साथ के नाम पर शायद नंदा बल्लभ ही उसकी थोड़ी बहुत देखभाल किया करता था एक दिन की बात है शाम के लगभग 3.30 बजे होगे सांस्कृतिक कार्यक्रम का अभ्यास चल रहा था और रविन्द्र भी उसका आनंद ले रहा था अचानक रविंदर का पैर पत्थर में उलझा और वह नीचे गिर गया और उसके माथा सीधा जमीन में लगा और उससे खून बहने लगा वह जोर जोर से रोने लगा आज तक किसी ने रविंदर को रोते नहीं देखा था और सभी का ध्यान रविंदर पर ही था नंदा ने तुरंत ही रविंदर के माथे पर एक कपडा रखा और उसे सीधे स्वस्थ्य केंद्र ले गया स्वस्थ केंद्र अभ्यास स्थान से 500 मीटर की दूरी पर ही था जब वो रविन्द्र को लेकर स्वस्थ केंद्र पहुंचे तो डॉक्टर जा चुके थे उस समय केवल एक कोम्पोंडर ही था उसने रविन्द्र की चोट

8m
Dec 01, 2020
मिट्ठू दिल की बहुत अच्छी लड़की है जो कोई भी उसे जानता है उसे पता है चाहे किसी की मदद करन

मिट्ठू दिल की बहुत अच्छी लड़की है जो कोई भी उसे जानता है उसे पता है चाहे किसी की मदद करनी हो किसी को कुछ समझाना हो किसी को कुछ बताना हो मिट्ठू हमेसा सबसे आगे होती है मिट्ठू अपने कॉलेज, मोहल्ले, रिश्तेदारी से लेकर दोस्तों तक में बहुत चर्चित है सब उसे बहुत अच्छा मानते हैं उसे देख कर लगता था की किसी की मदद करने के लिए जरूरी नहीं की आप धनि हों आप के पास पैसे हों, या आप के पास समय हो आपके पास केवल एक दिल होना चाहिए जो मिट्ठू की तरह सोचता हो उसकी उम्र कुछ जयादा नहीं थी वह केवल २० या २१ साल की ही होगी सब लोग उसकी कोमल और दयालु ह्रदय के कायल थे सब उससे बहुत पयार करते थे वह केवल तन की नहीं मन की भी बहुत सुन्दर थी जो भी उससे मिलता उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था हाँ घर की परिस्तिथि बहुत अच्छी नहीं थी एक छोटा भाई था मिट्ठू की मा नहीं थी बच्चपन से पिता ने ही उन्हें पाला था और वे अधिकतर समय घर पर कम और मंदिर में ज्यादा रहते थे एक दिन की बात है जब मिट्ठू अपने कॉलेज जा रही थी तब उसने देखा एक उसके पिता के ही उम्र का व्यक्ति मुख्य सड़क की और जाने वाले कच्चे रस्ते पर अचेत पड़ा है न जाने वह वहां कब से पड़ा था परन्तु कोई भी उसके पास न तो जा रहा था और न ही वहां रुक रहा था एक बार के लिए तो मिट्ठू भी ठिटक गयी की जाऊं न जाऊं सहेलियां साथ थी बोली मिट्ठू यहाँ से चल कोई न कोइ उसे देख ही लेगा आज इम्पोर्टेन्ट एक्साम है लेट हो रहे है न चाहते हुए भी मिट्ठू उस व्यक्ति को बिना मदद किये अपनी सहेलियों के साथ आगे बढ़ गयी सहेलियों के साथ चलते चलते वह सोच रही की उस आदमी को मदद की जरूरत है और यदि समय से उसे हॉस्पिटल नहीं पहुंचाया तो एसा न हो की वह मर जाये और यदि एसा हुवा तो सबसे ज्यादा पाप मुझे लगेगा क्यूंकि मैंने देख कर भी उसे अन्देखा किया है पता नहीं कोई और समय पर उसकी मदद कर सके की नहीं वह यह सोचती जा ही रही थी तभी उसने निर्णय लिया की वह उस व्यक्ति के पास जा कर उसकी मदद करेगी हालाँकि उसकी सहेलियों ने उसे बहुत समझाया की परीक्षा बहुत जरूरी है पर मिट्ठू के लिए दिल में मची उथल पुथल की स्तिथि में वेसे भी उसका परीक्षा में बैठ पाना संभव नहीं था उसने अपनी सहेलियों से कहा मै उस व्यक्ति को सरकारी हॉस्पिटल लेकर जा रही हूँ और तुम पुलिस को इन्फॉर्म कर देना मै उस व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचा कर वहां से सीधे परीक्षा के लिए पहुँच जाउंगी और मिट्ठू दौड़ती हुयी उस व्यक्ति के पास पहुंची लोंगो की मदद से उसने वहां उस उठवाकर निकट के सहकारी हॉस्पिटल पहुँचाया मिट्ठू ने रास्त में उस व्यक्ति के मोबाइल से उसके घर फ़ोन करके उसके बारे में खबर की और यह भी बताया की वह उसे किस हॉस्पिटल में ले गयी है उस व्यक्ति का बेटा विनय और पुलिस भी हॉस्पिटल पहुँच गयी थी विनय ने बताया उसके पिता लक्ष्मीनारायण रोज की ही तरह टहलने निकले थे और घर नहीं लोटे थे और वे उन्ही का इन्तेजार कर रहे थे जब मिट्ठू का फोन आया लक्ष्मीनारायण सहर के एक बड़े व्यापारियों में से एक थे विनय ने मिट्ठू को धन्यवाद किया और पुलिस ने भी उसके काम के लिए तारीफ की और अपनी ही गाडी से उसे परीक्षा केंद्र छोड़ दिया हालाँकि मिट्ठू ४५ मिनट विलम्ब से पहुंची थी मिट्ठू को उसके आच्छे कार्य के लिए अतिरिक्त समय दिया गया वह संतुस्ट थी की उसने वह कर दिया जैसा उसका मन कर रहा था और तस्सली से अपनी परीक्षा भी दी परीक्षा देकर जब वह घर जा रही थी तो बहुत खुश थी की आज उसने एक और व्यक्ति की मदद मिट्ठू ऐसे ही न जाने कितने लोगों की मदद कर चुकी थी और न जाने मिट्ठू के हाथ से और कितनो का भला होना है कुछ महीनो बाद की बात है की मिट्ठू जब घर पहुंची उसे पता चला की आज मंदिर में जब सब भोज के लिए एकत्रित थे तो मंदिर का एक छज्जा गिर गया और उसमे कई लोग घायल हुए हैं और उन्हें सभी को हॉस्पिटल लेकर गए हैं उसमे मिट्ठू के पिता भी थे अधिक चोट लगने की वजह से उसके पिता को बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में भेज दिया गया था वह भी उस हॉस्पिटल में पहुँच गयी डॉक्टर से मिलने पर पता चला की उसके पिता के इलाज में बहुत खर्चा होने वाला था मिट्ठू के घर की आर्थिक स्तिथि इतनी अच्छी नहीं थी और न ही कोई सिंचित धन जो की इस बुरे वक़्त में काम आता आज भगवन भी मिट्ठू की कड़ी परीक्षा ले रहा था आज यदि उसके पिता को कुछ हो जाता ह

8m
Nov 26, 2020
अदिति एक बहुत ही समझदार और सुंदर दिखने वाली लड़की थी वह कॉलेज के फाइनल इयर की छात्रा थी और कॉलेज

अदिति एक बहुत ही समझदार और सुंदर दिखने वाली लड़की थी वह कॉलेज के फाइनल इयर की छात्रा थी और कॉलेज की हॉस्टल में ही रही करती थी न जाने क्या बात थी कि अदिति की लोगों से बात करने में रुचि नहीं थी जिसकी वजह से उसके बहुत कम दोस्त थे उसके पिता एक बहुत ही जाने-माने एडवोकेट थे और मां एक सामाजिक कार्यकर्ता परंतु कभी भी घर में बहुत अच्छा माहौल नहीं रहा माता और पिता के पास बहुत समय नहीं होता था कि वह अदिति पर ध्यान दें अदिति अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी माँ बाप के पास अपने काम से ही फुर्सत नहीं थी बचपन से ही इसीलिए उसे हॉस्टल में पढ़ने के लिए भेज दिया गया था और 12वीं एग्जाम पास करने के बाद जब वह कॉलेज गयी तब भी वह हॉस्टल में ही रहती थी उसके जीवन में खुशी नाम की कोई चीज ही नहीं थी बचपन से लेकर आज तक दोस्त ही उसके परिवार रहे परंतु दोस्त भी बहुत कम थे क्योंकि पारिवारिक माहोल के चलते हैं उसे किसी से भी बात करना पसंद नहीं था वह एक रिज़र्व किस्म की लड़की थी न केवल अपने क्लास में पढ़ने वाले लड़कों से बल्कि लड़कियों से भी उसकी दोस्ती बहुत कम थी गिनी चुनी लड़कियां ही उसके मित्र थी एक दिन जब अदिति का मूड बहुत ख़राब था वह अपने कॉलेज के ग्राउंड में में बैठी हुई थी जबकि अधिकतर बच्चे अपनी क्लास के लिए अंदर चले गए थे अदिति अपने अतीत में खोई हुई थी तभी उसकी नजर एक बहुत ही सुंदर हैंडसम लड़के पर पड़ी जो वहां से गुजर रहा था यह पहली बार था जब कोई लड़का इतना अच्छा लगा था अदिति को लगा की अभी उससे बात कर ले वह लड़का भी अदिति को देखते हुए आगे बढ़ गया अदिति ने फिर से अपने आप को अतीत में खींच लिया और फिर से सोचने लगी क्यों उसके मां-बाप ने उसे हॉस्टल में पढ़ने भेज दिया क्यों उसे दुसरे बच्चों की तरह नहीं पाला गया क्या उसके माँ बाप उसे अच्छा नहीं मानते हैं क्योंकि मम्मी और पापा दोनों ही अपने काम में व्यस्त रहते हैं अदिति यह सब सोच ही रही थी तभी वह लड़का वापस आया और अदिति के पास आकर बैठ गया हेल्लो डियर उसने अदिति से कहा एकदम हैरान थी उसे लगा जैसे उसकी मन की बात उस लड़के ने सुन ली थी हाय अदिति ने भी हिच किचाते हुए बोला दोनों ने बातें शुरू की बातें करते हुए कितना समय गुजर गया अदिति को पता ही नहीं चला उस लड़के से बात करना अदिति को बहुत अच्छा लग रहा था दुसरे दिन भी जब अदिति अपनी क्लास ख़त्म होकर क्लास ने निकली तो उसी लड़के से मिलने और बात करने के लिए उसे ढूँढने लगी उसको इसके लिए ज्यादा महनत नहीं करनी पड़ी वह जल्द ही उसे मिल गया और आज भी उन्होंने बहुत बात की यह सिलसिला अब रोज शुरू हो गया जब भी अधिक समय मिलता वह कॉलेज के ग्राउंड में बैठ जाती और वह लड़का भी वहां आ जाता है दोनों मिलकर खूब बातें किया करते थे उस लड़के का अदिति के जीवन में आने की वजह से अदिति का स्वभाव बदलने लगा था और सब से बातें करने लगी थी वह अपनी सभी क्लासेस अटेंड करने लगी थी और सभी प्रोफेसर और बच्चे भी अदिति में आये बदलाव को नोटिस करने लगे थे और उसकी तारीफ करने लगे थे वे सब अस्चर्या चकित थे की अचानक अदिति में इतने बदलाव कैसे आ गए थे अदिति बहुत ही पॉजिटिव हो गई थी जीवन के प्रति उसका नजरिया बदल चुका था अब वह खेलकूद से लेकर और कॉलेज में होने वाले अधिकतर सभी कार्यक्रम में भाग लेने लगी थी अतिथि और उस लड़के की दोस्ती इतनी अधिक हो गई थी कि अदिति उसके बिना जीना मुश्किल समझती थी अतिथि की पूरी पूरा जीवन बिल्कुल बदल चुका था वह आज कॉलेज की सबसे ज्यादा चर्चित पहचाने जाने वाली एक्टिव और सबसे ज्यादा कमाल की लड़की थी अदिति को भी अपनी नया जीवन बहुत अच्छा लगने लगा था उसे लोगों से मिलना बात करना और कॉलेज के हर कार्यक्रम में भाग लेना बहुत अच्छा लगता था उसके जीवन में ऐसा पहली बार हुआ था कि वह सबसे मिलती थी उसे किसी से मिलने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी ऐसा करते-करते फाइनल ईयर भी खत्म हो गया था अदिति का एक बहुत अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट भी हो गया आज का आखिरी दिन था आज वे सभी कॉलेज को अलविदा कहने जा रहे थे अदिति उस लड़के का इंतजार कर रही थी सब लोग अब अपने अपने घर जा रहे थे अदिति को भी कल सुबह हॉस्टल छोड़ना था उस लड़के का इन्तेजार करते करते बहुत देर हो गयी थी कॉलेज कैंपस में शायद ही अब कोई स्टूडेंट रहा होगा अदिति भी आखिर थक कर जाने लगी तभी उसने देखा की वह लड़का उसकी और आ रहा है अदिति ने गुस्से से पुछा कहाँ थे अब तक तुम मैं कब से तुम हारा इन्तेजार कर रही थी लड़के ने कुछ नहीं बोला आज मेरा कॉलेज में लास्ट दिन है और मेरा कैंपस प्लेसमेंट के चेलते एक बहुत अच्छी जॉब भी मिल गयी है और मुझे कल सुबह हॉस्टल का कमरा भी छोड़ना है उनकी

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Nov 22, 2020
यह कहानी है एक लड़के की जिसका नाम संजू है वह एक साधारण परिवार में रहता है संजू के पिता अभी अ

यह कहानी है एक लड़के की जिसका नाम संजू है वह एक साधारण परिवार में रहता है संजू के पिता अभी अपनी नौकरी से सेवा निवृत हुए है माँ अक्षर बीमार रहती है दो बहने हैं एक की हल ही में शादी हुई है और दूसरी अभी पढाई कर रही है शादी शुदा एक बड़ा भाई है जो नौकरी करता है संजू अभी ग्रेजुएशन कर रहा है उसके बड़े सपने है वह चाहता है की उसे जीवन में सफलता मिले और उसे एक एसी नौकरी मिले की जहाँ वह बॉस हो उसकी सैलरी लाखों में हो उसके पास बहुत बड़ी और महंगी गाड़ी हो बहुत ही सुन्दर गर्ल फ्रेंड हो जिस से वो शादी कर सके और अपने पूरे परिवार को एक बहुत अच्छी जिंदगी दे सके संजू रोज कॉलेज जाता था उसके बहुत सरे दोस्त थे और दोस्तों के साथ मोज मस्ती में समय केसे निकलता था उसे पता ही नहीं चलता था कॉलेज जाना और सभी से मिलना उसे बहुत पसंद था कभी कभी कॉलेज की क्लासेज से बंक भी मर लेते थे बारवीं करने के बाद जो आजादी मिली थी उसका पूरा मजा संजू ले रहा था कोई टोकने वाला नहीं था जैसा मन में आता या जेसा दोस्तों क विचार होता वेसा ही करते कभी घूमने जाते कभी सिनेमा हॉल कभी दोस्तों के यहाँ और न जाने क्या क्या पर संजू ने सपने देखने कभी बंद नहीं किये उसे लगता था की बस ग्रेजुएशन पूरा होते ही वह जॉब के लिए अप्लाई करेगा और फिर उसकी बहुत अच्छी जॉब लग जाएगी जब भी वे सरे दोस्त साथ होते तो बड़ी बड़ी बातें किया करते थे और एसा लगता था जेसे अपने सपनो की नौकरी पाना बहुत आसन है उन्हें लगता था जो लोग एसा नहीं कर पते हैं वो उनकी तरह न तो सोचते हैं और न ही उनमे इतना दिमाग और टैलेंट हैं संजू को लगता था वो सबसे अलग है वह एक्स्ट्रा आर्डिनरी है पिता ने नौकरी में कमाया सारा पैसा संजू की माँ की बीमारी में लगा दिया था संजू की बहन की शादी करने के लिए पिता ने घर गिरवी रख दिया था अब घर का सारा खर्चा संजू के बड़े भाई की कमाई से ही चलता था एक दिन किसी अनबन के चलते बड़े भाई अपनी पत्नी सहित घर छोड़ कर चला गया पिता क्योंकि प्राइवेट जॉब पर थे तो पेंशन नाम की कोइ चीज नहीं थी अब घर के खर्चे के लिए पिता को फिर से काम ढूँढना था न चाहते हुए भी इसका असर संजू पर भी पड़ने लगा अब उसे जेब खर्च के लिए पैसे तो मिलना दूर अब मुफ्त में ताने मिलने लगे थे इस बीच एक दिन संजू अपनी भाभी को मानाने के लिए गया तो भाभी ने बोला तुम सबने तो अपने ऐश और आराम के लिए मेर पति को इतने समय से बवकूफ बनाये रखा आज फिर अगये चले जाओ और दोबारा कभी मत आना हमारी बाला से तुम केसे भी रहो हमे तुमसे कोई लेना देना नहीं संजू पर मनो वज्रपात हो गया हो मासूम सा संजू जिसे लगता था की एक अच्छी नौकरी लोखों की सैलरी और बड़ा घर पाना बहुत आसन काम है आज उनका परिवार एक वक़्त के खाने को भी मोहताज हो गया था संजू के ऊपर बहुत दबाव बन गया उसने नौकरी के लिए फॉर्म भरना शुरू कर दिया अब ग्रेजुएशन के फाइनल एग्जाम भी समीप ही थे उसने अपने फाइनल एग्जाम के साथ नौकरी के लिए अन्य एग्जाम की तयारी भी शुरू कर दी कुछ ही दिनों में अधिकतर एग्जाम हो गए इधर संजू के घर ही स्तिथि और भी गंभीर होती चली गयी उसके पिता को कोई नौकरी नहीं मिल पाई घर चलने के लिए उन्होंने लोगों से उधार लिया और जैसे तेसे घर चलाया परन्तु अब लोग अपना कर्जा मांगने आने लगे थे कर्जा बहुत तो नहीं था पर आज वे उसे चुकाने की स्थिथि में नहीं थे घर अब घर कम और torcher सेल ज्यादा हो गया था सभी का मूड हमेस बहुत ही चिड चिड़ा रहता था बात बात पर सब एक दुसरे को टोकते रहते थे संजू का ग्रेजुएशन का रिजल्ट अगया था वह अच्छे नंबर से पास हो गया पर बाकि नौकरियो के लिए दिए गाय किसी भी एक्साजम में पास नहीं हो पाया वह लगातार डिप्रेशन का शिकार होता जा रहा था उसी दिन कर्जदार भी जमानत के तौर पर उसकी सबसे पायरी motercycle अपने साथ ले गये पिताजी अपनि स्कूटी पहले ही बेच चुके थे संजू से छोटी बहन जो अभी १२ वीं में थी ने भी परिवार को सपोर्ट करने के लिए पास ही की दरजी की दुकान पर सिलाई और जरी का काम करना शुरू किया परन्तु फिर भी घर की मुसीबतें कम नहीं हो रही थी एक दिन की बात है संजू लोकल ट्रेन से वापस घर को जा रहा था बहुत ही परेसान और दुखी अपने आप में खोया हुवा इस उधेड़ बुन में की कैसे उनके पूरे परिवार का जीवन फिर से पहले जैसा हो पायेगा ट्रेन में उसकी नजर एक बैग पर पड़ी उसपर कुछ लिखा हुवा था पर वह अंग्रेज

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Nov 18, 2020
वो फ़ौजी लड़की

यह बात है उत्तराखंड पहाड़ के एक छोटे से कसबे की वहां निशु नाम की लड़की रहती थी उनका गाँव शहर से दूर था वहां पहुँचने के लिए पैदल ही जाना पड़ता था गाँव लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर था निशु को कॉलेज के लिए पैदल ही आना जाना पड़ता था उसका एक एक छोटा भाई था जो अभी गाँव के ही स्कूल में पढता था उसके के पिता किसी दुसरे राज्य में प्राइवेट नोकरी किया करते थे पिता जो भेजते थे वो दादी के दवाइयों के खर्चे में ही चला जाता था घर का गुजरा कठिनाई से होता था निशु की माँ पढ़ी लिखी नहीं थी दिन भर खेतों में काम करने और अपने पालतू जानवरों के देख भाल में लगी रहती थी कॉलेज जाते हुए उसको बाजार की दुकानों तक सब्जी और दूध भी बेचने के लिए साथ लेकर जाना पड़ता था जिससे घर का खर्चा चलता था निशु का सपना फोज में भारती होने का था वह रोज फोज में भारती होने से सम्बंधित ख़बरें पड़ती थी यदि गाँव में भी कभी कोई फोज से छुट्टी आता तो वह उनसे मिलने जरूर चली जाती थी वह चाहती थी की वह भी देश की सेवा करे परन्तु एक ऑफिसर बन कर वह बच्चपन से पढने में औसत स्तर की छात्रा रही उसका भी कारण परिवार की आर्थिक स्तिथि ही थी एक दिन जब निशु कॉलेज से घर पहुंची तो उसने देखा उसके घर पर बहुत लोग इकठ्ठा थे उसे किसी अनहोनी का डर सताने लगा वह भाग भाग कर घर की तरफ जाने लगी उसे लगा कहीं दादी को तो कुछ नहीं हो गया या माँ को क्योंकि की उनके गाँव के पास खेतों में जंगली जानवर भी आते रहते थे निशु हफ्तें हाँफते घर पहुंची देखा माँ और दादी दोनों ठीक हैं पर उसके पिता जमीन पर मृत पड़े हैं शायद वे भी बीमार थे पर घर की स्तिथि को देखते हुए उन्होने कभी उसका जिक्र परिवार से नहीं किया था निशु पर अब पूरे परिवार को सँभालने की जिम्मेदारी आ गयी निशु का कॉलेज का अंतिम वर्ष था परन्तु अब तो कॉलेज जाना भी बहुत मुस्किल था निशु के सरे सपने हवा हो गए वह अपने जीवन में इतना निरिश और दुखी कभी नहीं हुई थी जितना वह आज थी वह सोच रही थी उसके साथ एसा क्यूँ हो रहा है वह तो हमेसा पूजा पाठ करती है हमेसा ईमानदारी से सभी कम करती है कभी किसी को बुरा नहीं बोलती फिर उसके परिवार को ही क्यूँ इतनी परेसनियों का सामना करना पढ़ रहा है निशु का कॉलेज जाना लगभग बंद ही हो गया था क्यूंकि अब उसे अपने माँ के साथ खेतों में काम करना पढ़ रह था उन्होंने कुछ और खेतों में सब्जियां उगानी सुरु कर दी था और निशु को ही उन्हें बाजार बेचने भी जाना पड़ता था एक दिन निशु जब सब्जियां बेचने के लिए बाजार पहुंची तो कॉलेज के NCC के ड्रिल इंस्ट्रक्टर ने निशु को देख लिए वे उसके पास पहुंचे और पुछा की वह यह सब क्या कर रही है और कॉलेज क्यूँ नहीं आ रही है उसका NCC C certificate का एग्जाम भी होना था और जल्द ही फाइनल एग्जाम भी होने वाले थे निशु से बहुत दिनों बाद बात किसी ने कॉलेज और उसके फोज में भारती होने के सपने के बारे में बात की और उसके प्रति सहानुभूति दिखाई थी निशु वहीँ फूट फूट के रोने लगी निशु जब घर लोटी तो और भी अधि उदास और निराशा से घिरी हुई थी उसे लग रहा था की उसका परिवार और उसका जीवन अब हमेसा इसे ही दुःख दर्द में बीतेगा उस दिन बहुत बारिश भी हो रही थी उनका घर मट्टी और पत्थरों का से बना हुवा था अधिक बारिश के कारण एक कमरे की दिवार गिर गयी और निशु की दादी उसके नीचे दब गयी पूरा परिवार एक बार फिर बहुत तिलमिला गया गाँव के लोगों की मदद से दादी के शव को बहार निकला जा सका और उनका अंतिम संस्कार किया गया उस रात निशु अपनी परेसनियों से बहुत व्यथित थी और अपने कमरे में बैठे बैठ ही सो गयी सोते हुए निशु को एसा लगा जैसे किसी ने उससे कहा की बेटी तेरी परेसनियों का समय अब ख़त्म हो गाया है तू थोड़ी हिम्मत कर और अब सारा जहाँ तेरा होगा उसे लगा जसे उसकी दादी लोट आई है और उन्होंने ही उससे ये सब कहा निशु की आँख खुली तू उसने देखा कमरे में अँधेरा था और कमरे की खिड़की से चाँद की रौशनी उसके और उसकी किताबों पर पड रही थी उसने उठकर समय देखा सुभ के 4 बज रहे थे उस सुबह निशु ने फिर से एक बार अपनी सारी हिम्मत इकट्ठा की और अपने सपने को सच करने में लग गयी क्योंकि उसको विश्वास हो गया था की वो शब्द उसके दादी के ही थे वह कॉलेज गयी और वहां सभी ने उसको हर प्रकार से मदद की क्यूंकि ड्रिल इंस्ट्रक्टर ने सभी को उसकी स्तिथि के बारे में बताया था निशु ने NCC C certificate के साथ साथ अपनी ग्रेजुएशन पूरी ही की थी की उसे SSB से dirrect एंट्री के लिए कॉल अगया निशु ने अपनेआत्म विश्वास के बूते SSB क्लियर किया और आज सिक्किम

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Nov 14, 2020
एक डॉक्टर को तत्काल सर्जरी के लिए बुलाया जाने के बाद उस डॉक्टर ने जल्दी से अस्पताल में प्रवेश किया

एक डॉक्टर को तत्काल सर्जरी के लिए बुलाया जाने के बाद उस डॉक्टर ने जल्दी से अस्पताल में प्रवेश किया। उन्होंने अपने कपड़े बदले और सीधे सर्जरी ब्लॉक में चले गए। उन्होंने देखा कि लड़के के पिता बहुत ही चिंतित और डॉक्टर के इंतजार में हॉल में आगे-पीछे चल रहे हैं। एक बार डॉक्टर को देखकर डैड चिल्लाया: “तुम्हें आने में इतना समय क्यों लगा? क्या आप नहीं जानते कि मेरे बेटे का जीवन खतरे में है? क्या आपके पास जिम्मेदारी की भावना है भी की नहीं है? " डॉक्टर मुस्कुराया और कहा: "मुझे क्षमा करें, मैं अस्पताल में नहीं था और मुझे जैसे ही खबर मिली मैं जितनी जल्दी आ सकता था मैं आया हूँ प्लीज अब, मैं चाहता हूं कि आप शांत रहें ताकि मैं अपना काम कर सकूं।" "शांत हो जाओ?! यदि मेरे बेते की जगह आपका बेटा अभी इस कमरे में होता , तो क्या आप तभ भी शांत रहते ? यदि आपका अपना पुत्र मर रहा होता तो आप क्या करेंगे? ” पिता ने गुस्से में कहा। डॉक्टर ने फिर से मुस्कुराकर जवाब दिया: “मैं वाही कहूंगा जो हमारे धरम ग्रंथों में कहा गया है हम पञ्च तत्व से बने हैं और पञ्च तत्व में विलीन होना है डॉक्टर किसी के जीवन को लम्बा नहीं कर सकते आप जाएँ और भगवन से प्रार्थना करें और हम अपना स्र्वश्रेष्ठ करेंगे की आपके बेटे को जल्दी से स्वस्थ किया जा सके हूँ ...... जब हम चिंतित नहीं होते तो सलाह देना बहुत आसान होता है" पिता बड़बड़ाये । सर्जरी में कुछ घंटे लगे जिसके बाद डॉक्टर खुश होते हुए बहार आये और बोले , “भगवान का शुक्र है! आपका बेटा बच गया है! ” और पिता के जवाब की प्रतीक्षा किए बिना वह अपने रास्ते चल दिए । "यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो नर्स से पूछें।" “वह इतना घमंडी क्यों है? वह कुछ मिनट इंतजार नहीं कर सकता था ताकि मैं अपने बेटे की स्थिति के बारे में पूछ सकता ? " डॉक्टर के जाने के बाद नर्स को देखकर पिता ने कहा । नर्स ने जवाब दिया: "उनका बेटा कल एक सड़क दुर्घटना में मर गया था, वे उसके अंतिम संस्कार में थे जब हमने उन्हें आपके बेटे की सर्जरी के लिए बुलाया था।" मै उसे अल्फाजों को ढूँढ़ते रह गया और वो अपनी आँखों से गजल कह गया वो इतने दर्द के बाद भी मुस्कुरा रहा है मैंने देखा है जिंदगी वह तुझे केसे हरा रहा है वेसे भी ये जीवन है साहब उल्झंगे नहीं तो सुलझेंगे केसे और बिखरेंगे नहीं तो निखरेंगे केसे आज समझ में आया लफ्जों के भी जायके होते हैं परोसने से पहले चख लेना चाहिए मुझे अब अपने बोली गयी बातों पर पछतावा हो रहा था पर शब्दों के तीर तो निकल चुके थे और अब उसे नहीं मुझे ही चूब रहे थे

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Nov 12, 2020
एक दिन की बात है मै घर के पास बीच पर घूम रहा था मेरा पैर एक ऊँची उठी हुई किसी चीज पर पढ़ा मैंने द

एक दिन की बात है मै घर के पास बीच पर घूम रहा था मेरा पैर एक ऊँची उठी हुई किसी चीज पर पढ़ा मैंने देखा वह एक किसी पुरुष का पर्स था वह बहुत ही सुन्दर भूरे रंग का लेस वाला पर्स था शायद किसी की जेब से गिर गया था मैने उसे तुरंत उठाया और खोल कर देखा उसमे केवल 150 रूपये थे और एक मैला कुचला सा लिफाफा था उस पर्स के मालिक के एड्रेस का पता करने के लिए मैंने वह लिफाफा खोला उसमे एक पत्र था मैंने देखा वह सुन्दर लिखावट से लिखा गया बहुत ही सुन्दर सा गुलाबी रंग का लैटर पेड था और उसमे 1980 की डेट थी वह लगभग 40 साल पहले लिखा गया लैटर था उसमे उलटे हाथ पर कोने में सुन्दर लिखावट के साथ लिखा गया था "डिअर जॉन" कृपा यह लैटर माइकेल को दे देना और उनसे कहना की मै उनसे अब नहीं मिल पाऊँगी क्यूंकि मेरी माँ को मेरा उनसे मिलना पसंद नहीं पर मै हमेसा उनसे प्यार करती रहूंगी और अंत में हान्ना के नाम से सिग्नेचर किये हुए थे यह एक सुंदर पत्र था, लेकिन माइकल नाम के अलावा कोई रास्ता नहीं था, जिसे से की उसके मालिक की पहचान की जा सके। हाँ उसमे भेजने वाले का एड्रेस जरूर लिखा था जो मेरे घर से बहुत दूर था मैंने सोचा की क्यूँ न टेलीफ़ोन डायरेक्टरी से नंबर देखूं मैंने लैंडलाइन से टेलीफोन ऑपरेटर से बात की और उस एड्रेस पर बात करनी है क्या आप मेरी बात करवा सकते हैं ऑपरेटर ने चेक किया और पाया की उस एड्रेस पर एक लैंडलाइन नंबर रजिस्टर था ऑपरेटर ने कहा, एक शिष्टाचार के रूप में, वह उस नंबर पर कॉल करेगी, मेरी कहानी बताएगी और उनसे पूछेगी कि क्या वे आपसे बात करना चाहते हैं। परन्तु मुझे उस एड्रेस पर रजिस्टर टेलीफोन नंबर नहीं दे सकती मुझे इसपर कोई अप्पति नहीं थी मैंने कुछ मिनट इंतजार किया और फिर वह टेलीफोन ऑपरेटर वापस लाइन पर आई और मेरी उस नंबर पर बात कराइ दूसरे और एक महिला थी मैंने पूछा कि क्या वह हन्ना के नाम से किसी को जानती है। वह हांफते हुए बोली, “ओह! हमने तो यह घरलगभग 30 साल पहले एक परिवार से खरीदा था, जिनकी एक बेटी थी हान्ना । "क्या आप जानते हैं कि वह परिवार अब कहाँ रहता है?" मैंने पूछा। "मुझे याद है कि कुछ साल पहले हन्ना को अपनी माँ को एक नर्सिंग होम में रखना पड़ा था," महिला ने कहा। "हो सकता है कि अगर आप उनके संपर्क में आए तो हान्ना को ट्रैक सकते हैं।" उसने मुझे नर्सिंग होम का नाम दिया और मैंने नंबर पर कॉल किया। उन्होंने मुझे बताया कि कुछ साल पहले उस बुढ़ि महिला का निधन हो गया था परन्तु उनके पास हान्ना जहाँ रहती है उस जगह का नंबर है उसने मुझे वह नंबर दिया और मैंने उसपर कॉल किया यह भी एक नर्सिंग होम का नंबर था मैंने उस नंबर पर कॉल किया हालाँकि मुझे यह अब बेवकूफी लग रही थी की 150 रुपे और एक लैटर जो ४० साल पुराना था के लिए मैं वो सब कुछ कर रहा हूँ तभी मेरी कॉल कनेक्ट हुई और फोन का जवाब देने वाले व्यक्ति ने मुझसे कहा, "हां, हान्ना हमारे साथ रह रही है।" एक अच्छी बात यह थी की वह नर्सिंग होम मेरे घर से १० मिनट की दूरी पर था हालांकि अब रात के 9.30 बजे थे , मैंने पूछा कि क्या मैं उनसे मिलने के लिए आ सकता हूं। "ठीक है," उसने झिझकते हुए कहा, शायद हान्ना अभी कॉमन रूम में टीवी देख रही होंगी मैंने उस व्यक्ति को धन्यवाद दिया और नर्सिंग होम चला गया। नाईट ड्यूटी पर रहने वाली नर्स और एक गार्ड ने दरवाजे पर मेरा अभिवादन किया। हम उस बड़ी इमारत की तीसरी मंजिल पर गए। कॉमन रूम में, नर्स ने मुझे हान्ना से मिलवाया। वह प्यारी सी चांदी की बालों के साथ मधुर मुस्कान वाली महिला थी उनकी आँखों में आज भी चमक थी । मैंने उसे बटुए के मिलने के बारे में बताया उन्होंने गहरी सांस ली और बताया यह लैटर मैंने jhon को दिया था माइकल को देने के लिए और jhon ने उसे माइकल को दे दिया था वह एक पल के लिए गहरी सोच में डूबी दिखी और फिर से बोली, “मैं उससे बहुत प्यार करती थी। लेकिन मैं उस समय केवल २१ साल की थी और मेरी मां को लगा कि मैं बहुत छोटी हूं। वह बहुत सुंदर थे एक अभिनेता की तरह लगते थे। ” "हाँ," उसने जारी रखा। “माइकल गोल्डस्टीन एक अद्भुत व्यक्ति थे। मैं उनके बारे में अक्सर सोचति हूं। और, "वह एक पल के लिए झिझकी, लगभग अपने होंठ काटते हुए," उसे बताया कि मैं अभी भी उससे प्यार करती हूं। यदि आप उन्हें ढूंढना चाहती हैं , तो बताएं मैंने पुछा क्या तुम्हें उनका पता है, हान्ना ने पुछा और बोला जब तुम्हे वे मिलें तो उन्हें बोलना " उसकी आँखों में आँसू बहने लगे," मैंने कभी शादी नहीं की। क्यूंकि कि कोई भी माइकल जैसा मिला ह

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Nov 10, 2020
जैसे ही डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर से बाहर आया शैली अपनी कुर्सी से उठी वह ऑपरेशन थिएटर के बहार ही बैठी ह

जैसे ही डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर से बाहर आया शैली अपनी कुर्सी से उठी वह ऑपरेशन थिएटर के बहार ही बैठी हुई थी शैली ने पूछा मेरा बेटा कैसा है डॉक्टर ने जवाब दिया हम उसे बचा न सके शैली ने भगवान को कोसते हुए बोला भगवान तुम कहां थे जब मेरे बेटे को आप की सबसे ज्यादा जरूरत थी शैली का बेटा जॉन काफी दिनों से बीमार था उसकी उम्र महज 11 साल की थी परन्तु वह बहुत ही दयालु हृदय का बालक था डॉक्टर ने शैली से पूछा क्या तुम अपने बेटे को अंतिम बार देखना चाहोगी एक नर्स तुम्हारे साथ रहेगी शैली ने हां में जवाब दिया और वह नर्स के साथ अंदर चली गई थोड़ी देर में उस बालक के पार्थिव शारीर को एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में भेज दिया जाएगा क्योंकि उसक बालक की यही अंतिम इच्छा थी बालक ने माँ से कहा था की यदि ऑपरेशन के दोरान कुछ हो जाएगा तो इस शरीर में तो वह रह नहीं पाएगा तो उसके शारीर का कुछ ऐसा उपयोग किया जाए जिससे की उसके जैसे छोटे बच्चे अपनी मां से कभी अलग ना हो सके इसलिए उसके मृत शारीर को एक मेडिकल यूनिवर्सिटी को दान दिया जा चूका था जॉन के बहुत ही सुन्दर घुंगुराले बाल थे शैली ने बालक के सुन्दर बालों में अपना हाथ फेरा तब नर्स ने पूछा कि क्या तुम जॉन के थोड़े से बाल अपने पास रखना चाहोगे शैली ने हाँ में जवाब दिया नर्स ने एक छोटा गुच्छा बालों का काट कर एक छोटी सी पॉलिथीन में डालकर मां को पकड़ा दिया शैली वहां से बाहर आए और जॉन का जितना भी सामान हॉस्पिटल के कमरे में रखा हुआ था लेकर अपनी कार में रखा लगभग पिछले 6 महीनों से जॉन किसी अनजान बीमारी से ग्रस्त था बड़ी मुश्किल से अपने दिल को संभालते हुए मां घर पहुंची जॉन के बिना घर बड़ा खाली खाली सा लग रहा था शैली ने अपने बेटे के बालों का गुच्छा उसकी वह मॉडल टॉय कार जिससे वह खेलता था और अन्य सामान उसके के कमरे में रखा शैली अपने कमरे में गई वहां वह अपने बिस्तर पर निढाल होकर लेटी अपने तकिए को कस के पकड़ा और जोर से रोने लगी रोते-रोते उसकी आंख कब लग गई उसे पता ही नहीं चला लगभग आधी रात के समय उसकी नींद खुली उसने देखा एक लेटर उसके बगल में रखा हुआ था उसने वह लेटर उठाया और पढ़ना शुरू किया उसमें लिखा था प्यारी मां मैं जानता हूं आप मुझे इस समय बहुत याद कर रही होंगी मैं आपके पास नहीं हूं इसका यह मतलब नहीं है मैं आपसे प्यार करना बंद कर पाऊंगा मैं कभी भी आपको नहीं भूल पाऊंगा मैं हमेशा आपसे प्यार करता रहूंगा हो सकता है हम दोबारा फिर किसी दिन मिलेंगे तब तक आप किसी बच्चे को गोद क्यूँ नहीं ले लेती वह लड़का होगा तो मेरे सारे सामान को इस्तेमाल कर पाएगा हां लड़की को भी तुम गोद ले सकती हो पर फिर तुमको उसके लिए दूसरी चीजें खरीदनी होगी क्योंकि लड़कियों को मेरी चीजें पसंद नहीं आएंगे उसके लिए तो सॉफ्टवेयर और बाकी दूसरी चीजें लेनी होगी मेरे बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है जैसे ही मैं यहां पहुंचा मुझे यहां दादा-दादी मिल गए थे उन्होंने मुझे यहां चारों और घुमाया हां यहां घूमने में अभी और बहुत समय लगेगा क्योंकि यह बहुत बड़ी जगह है यहां पर बहुत सारी परियां हैं वे बहुत अच्छी है मुझे उन्हें उड़ते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है और हां भगवान भी वैसे नहीं है जैसे हम फोटो में देखते हैं वे बिल्कुल अलग है लेकिन मैं उन्हें देखते ही पहचान गया था उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मुझसे बहुत अच्छे से बात की तब मैंने उनसे पूछा क्या मैं अपनी मां को एक पत्र लिख सकता हूं मैं जानता था कि यहाँ पर ऐसा करना संभव नहीं है परंतु फिर भी भगवान ने मेरी बात मान ली उन्होंने मुझे एक पेपर दिया और अपना एक बहुत ही सुंदर पेन भी दिया जिससे मैंने यह लेटर लिखा भगवान ने कहा कि आपने उनसे एक सवाल पूछा था भगवन कहां थे जब उनके बेटे जॉन को भगवन की सबसे ज्यादा जरूरत थी मैं उसी का जवाब लिख रहा हूं भगवान ने कहा के वे वहीँ थे उस समय भी, अब भी और हमसे साथ रहेंगे जिस पेन से मैं यह लेटर लिख रहा हूं यह सिर्फ तुम्हें दिखाई देगा क्योंकि यह भगवान का स्पेशल पेन है अब भगवन को यह पेन वापस चाहिए क्योंकि इससे और भी कई लोगों के नाम बुक में लिखने है आज मैं भगवान के साथ खाना खाऊंगा उम्मीद करता हूं खाना बहुत अच्छा होगा हां एक बात तो कहना आपसे भूल ही गया जिस बीमारी से मुझे बहुत दर्द हुआ करता था अब वह दर्द बिल्कुल भी नहीं है मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं आप अपना ख्याल रखना मां पत्र लिखने वाला जॉन और भगवान

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Nov 07, 2020
How the poor live A heart TOUCHING STORIES One day, a father of a very w

How the poor live by A heart TOUCHING STORIES One day, a father of a very wealthy family took his son on a trip to the country with the firm purpose of showing his son how poor people live. They spent a couple of days and nights on the farm of what would be considered a very poor family. On their return from their trip, the father asked his son, “How was the trip?” “It was great, Dad.” “Did you see how poor people live?” the father asked. “Oh yeah,” said the son. “So, tell me, what did you learn from the trip?” asked the father. The son answered, “I saw that we have one dog and they had four. We have a pool that reaches to the middle of our garden, and they have a creek that has no end. We have imported lanterns in our garden, and they have the stars at night. Our patio reaches to the front yard, and they have the whole horizon. We have a small piece of land to live on, and they have fields that go beyond our sight. We have servants who serve us, but they serve others. We buy our food, but they grow theirs. We have walls around our property to protect us; they have friends to protect them.” The boy’s father was speechless. Then his son added, “Thanks, Dad, for showing me how poor we are.”

3m
Nov 06, 2020
इंग्लैंड के एक छोटे से कसबे की शाम ढल चुकी थी और काफी अँधेरा हो गया था एक बूढी महिला अपनी बह

यह कहानी है इंग्लैंड के एक छोटे से कसबे की शाम ढल चुकी थी और काफी अँधेरा हो गया था एक बूढी महिला अपनी बहुत ही महँगी कार के पास घबराई हुई सी खड़ी थी अत्यधिक ठण्ड होने की वजह से रास्ता सुनसान था वह अकेले में बहुत घबरा गयी थी वह लगभग 1 घंटे से वहां पर ठण्ड में खड़ी मदद का इन्तेजार कर रही थी और कोई भी वहां उसकी मदद के लिए नहीं रुक रहा था तभी एक कार उसकी कर से कुछ दूर जा कर रुकी उसमे से एक व्यक्ति नीचे उतरा और उसकी तरफा आने लगा वह मन ही मन सोच रही थी क्या यह व्यक्ति मेरी मदद करेगा या या मुझे नुकसान पहुंचाएगा और मेरा सामन लूट लेगा जब वह व्यक्ति पास पहुंचा उसने देखा एक बहुत ही समृद्धि बूढी महिला बहुत घबराई और सहमी हुई सी खड़ी है उस व्यक्ति ने उस महिला से पुछा क्या कोई समस्या है मैडम मेरा नाम पीटर एंडरसन है क्या मै आपकी कोई मदद कर सकता हूँ उस बूढी महिला ने बताया की वह लगभग 1 घंटे से वहां थी उसकी कार का टायर पंचर हो गया और उसे बदलना है एंडरसन ने बोला कोई बात नहीं आप अपनी कार में बैठिये मै टायर बदल देता हूँ बहार ठण्ड बहुत है और एंडरसन कार का टायर बदलने लगा महिला कार में अंदर तो बैठ गई पर कार की खडकी का सीसा नीचे करके उससे बात करती रही टायर का nut टाइट करते हुए एंडरसन के उंगलियों में चोट भी लग गयी थी और उसके कपडे भी गंदे हो गए थे टायर बदलने के बाद उसने महिला से कहा की अब वह अपने गंताव्ब्या तक आराम से जा सकती है इस काम के लिए बूढी महिला से आराम से एक अच्छी रकम ली ली जा सकती थी महिला ने एंडरसन से पुछा की इस मदद के बदले उसे कितने पैसे देने हैं एंडरसन ने कहा की यह मेरे लिए कोई काम नहीं था वह केवल उसकी मदद करना चाहता था परन्तु महिला उसे कुछ न कुछ देना चाहती थी तब एंडरसन ने कहा मुझे इसके बदले कुछ नहीं चाइये पर कभी भी यदि

6m
Nov 05, 2020
I went to a party, Mom, I remembered what you said. You told me not to drink, Mom, so I drank soda i

I went to a party, Mom, I remembered what you said. You told me not to drink, Mom, so I drank soda instead. I really felt proud inside, Mom, the way you said I would. I didn't drink and drive, Mom, even though the others said I should. I know I did the right thing, Mom, I know you are always right. Now the party is finally ending, Mom, as everyone is driving out of sight. As I got into my car, Mom, I knew I'd get home in one piece. Because of the way you raised me, so responsible and sweet. I started to drive away, Mom, but as I pulled out into the road, the other car didn't see me, Mom, and hit me like a load. As I lay there on the pavement, Mom, I hear the policeman say, the other guy is drunk, Mom, and now I'm the one who will pay. I'm lying here dying, Mom.  I wish you'd get here soon. How could this happen to me, Mom?  My life just burst like a balloon. There is blood all around me, Mom, and most of it is mine. I hear the medic say, Mom, I'll die in a short time. I just wanted to tell you, Mom, I swear I didn't drink. It was the others, Mom.  The others didn't think. He was probably at the same party as I. The only difference is, he drank and I will die. Why do people drink, Mom?  It can ruin your whole life. I'm feeling sharp pains now.  Pains just like a knife. The guy who hit me is walking, Mom, and I don't think it's fair. I'm lying here dying and all he can do is stare. Tell my brother not to cry, Mom.  Tell Daddy to be brave. And when I go to heaven, Mom, put "Daddy's Girl" on my grave Someone should have told him, Mom, not to drink and drive. If only they had told him, Mom, I would still be alive. My breath is getting shorter, Mom.  I'm becoming very scared. Please don't cry for me, Mom.  When I needed you, you were always there. I have one last question, Mom, before I say good bye. I didn't drink and drive, so why am I the one to die?

4m
Nov 03, 2020
There was a girl sitting by herself in the park. Everyone passed by her

There was this girl sitting by herself in the park. Everyone passed by her and never stopped to see why she looked so sad. Dressed in a worn pink dress, barefoot and dirty, the girl just sat and watched the people go by. She never tried to speak. She never said a word. Many people passed by her, but no one would stop. The next day I decided to go back to the park in curiosity to see if the little girl would still be there. Yes, she was there, right in the very spot where she was yesterday, and still with the same sad look in her eyes. Today I was to make my own move and walk over to the little girl. For as we all know, a park full of strange people is not a place for young children to play alone. As I got closer I could see the back of the little girl's dress was grotesquely shaped. I figured that was the reason people just passed by and made no effort to speak to her. As I got closer, the little girl lowered her eyes slightly to avoid my intent stare. As I approached her, I could see the shape of her back more clearly. She was grotesquely shaped in a humped-over form. I smiled to let her know it was OK; I was there to help, to talk. I sat down beside her and opened with a simple, "Hello." The little girl acted shocked, and stammered a "hi," after a long stare into my eyes. I smiled and she shyly smiled back. We talked until darkness fell and the park was completely empty. I asked the girl why she was so sad. The little girl looked at me with a sad face said, "Because I'm different." I immediately said, "That you are!" and smiled. The little girl acted even sadder and said, "I know." "Little girl," I said, "you remind me of an angel, sweet and innocent." She looked at me and smiled, then slowly she got to her feet and said, "Really?" "Yes, you're like a little Guardian Angel sent to watch over all those people walking by." She nodded her head yes, and smiled. With that she opened the back of her pink dress and allowed her wings to spread, then she said "I am. I'm your Guardian Angel," with a twinkle in her eye. I was speechless -- sure I was seeing things. She said, "For once you thought of someone other than yourself. My job here is done." I got to my feet and said, "Wait, why did no one stop to help an angel?" She looked at me, smiled, and said, "You are the only one that could see me," and then she was gone. And with that, my life was changed dramatically. So, when you think you're all you have, remember, your angel is always watching over you.

7m
Nov 01, 2020
“In the days when an ice cream sundae cost much less, a 10 year old boy entered a hotel coffee shop

“In the days when an ice cream sundae cost much less, a 10 year old boy entered a hotel coffee shop and sat at a table. A waitress put a glass of water in front of him. ‘How much is an ice cream sundae?’ ’50 cents,’ replied the waitress. The little boy pulled his hand out of his pocket and studied a number of coins in it. ‘How much is a dish of plain ice cream?’ he inquired. Some people were now waiting for a table and the waitress was a bit impatient. ’35 cents,’ she said brusquely. The little boy again counted the coins. ‘I’ll have the plain ice cream,’ he said. The waitress brought the ice cream, put the bill on the table and walked away. The boy finished the ice cream, paid the cashier and departed. When the waitress came back, she began wiping down the table and then swallowed hard at what she saw. There, placed neatly beside the empty dish, were 15 cents – her tip.”

3m
Oct 31, 2020